Friday, 30 October 2020

यूएई में सड़कों से लेकर कारखानों तक बिहार चुनाव की चर्चा, यहां रह रहे बिहारी चाहते हैं राज्य में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बने

(शानीर एन सिद्दीकी) इस वक्त हम मौजूद हैं दुबई के यूपी एन बिहार रेस्त्रां में। यहां गेट पर खड़े युवक नीतीश और तेजस्वी की जीत-हार का हिसाब-किताब लगा रहे हैं। इसी तरह की चर्चाएं यूएई की सड़कों से लेकर कारखानों तक आम हैं।

एक अनुमान के मुताबिक, यहां बिहार के 5 लाख लोग काम करते हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि हर साल वर्क वीसा पर बिहार से 70 हजार लोग यहां आते हैं और ये लोग बिहार की इकोनॉमी में सालाना दो हजार करोड़ रुपए का योगदान देते हैं।

विदेश में रहने वालों का डेटा रखा जाए

दुबई में इंजीनियरिंग कंपनी सिवान टेक्निकल कॉन्ट्रैक्टिंग और यूपी एन बिहार रेस्त्रां के मालिक अनुज सिंह भी नई सरकार से उम्मीदें लगाए बैठे हैं। वे बताते हैं कि उनकी नई सरकार से मांग है कि विदेशों में रह रहे लोगों का डेटा रखा जाए। इसके लिए नीतीश सरकार ने बिहार फाउंडेशन के तहत एक अच्छी शुरुआत की थी, पर यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। वहीं, आयल एंड गैस इंजीनियर नवीन चंद्रकला कुमार बताते हैं कि बिहार से आने वाले ब्लू कॉलर वर्कर की तीन सबसे बड़ी जरूरत सावधानी, सुरक्षा और सहायता है।

वे कहते हैं कि एक राज्य से हर साल लाखों लोग काम करने विदेश जाते हैं और राज्य में कोई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट नहीं है। यदि राज्य का अपना एयरपोर्ट होगा तो प्रशासन नए जाने वाले वर्कर को सूचना दे सकता है कि विदेश में कोई समस्या आने पर किससे और कैसे संपर्क करे।

इस पर निगाह रखी जा सकती है कि जाने वाला सही वीसा पर जा रहा है या नहीं। किस एजेंट के जरिए जा रहा है, उसका भी रिकॉर्ड रख सकते हैं। एजेंटों के रजिस्ट्रेशन की एक व्यवस्था राज्य सरकार को तुरंत शुरू कर देनी चाहिए। इससे बहुत सारे फ्राॅड रोके जा सकते हैं। पटना एयरपोर्ट, दरभंगा एयरपोर्ट और गया एयरपोर्ट को अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने की शुरुआत करनी चाहिए। इसमें राज्य सरकार के राजस्व, टैक्स और विदेशी मुद्रा के रूप में मदद भी होगी।

बिहार में राजनीति हमेशा मुद्दों से हटकर होती है

फुलवारी शरीफ के रहने वाले और फ्रेंच कंपनी में वरिष्ठ अधिकारी के पद पर कार्यरत इरफानुल हक बताते हैं कि दुबई में बैठ कर हम सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं कि इस बार चुनाव में क्या होने जा रहा है। पर बिहार में राजनीति हमेशा असल मुद्दों से हट कर होती है।

उम्मीद है कि नई सरकार शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं को तरजीह देगी। विकसित राज्यों की तर्ज पर बिहार में भी नए उद्योगों के लिए फ्री जोन बनाएगी। राज्य में निवेश करने वाले बिहारी उद्योगपतियों को टैक्स में छूट, सुरक्षा की गारंटी, कारोबार में आसानी जैसी नीतियां लागू करेगी। नई सरकार निवेश के लिए नया मंत्रालय भी बना सकती है जो की विदेश में रह रहे अप्रवासी बिहारी समाज के साथ मिल कर काम कर सकता है।

हालांकि यहां रह रहे लोगों को चुनाव का हिस्सा न बन पाने का भी मलाल है। अनुज बताते हैं कि यहां चुनाव पर बहस और चर्चा का ऐसा माहौल बनता जा रहा है कि जैसे बिहार में ही बैठे हों। परिवार वालों से फोन और न्यूज चैनलों के जरिए लोग चुनाव की हर जानकारी जुटा रहे हैं। यदि सरकार और हाई कमीशन व्यवस्था करेगा तो वोटिंग के लिए लंबी कतारें दिखेंगी।



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एजेंटों का धोखा और वीसा फ्रॉड यह मजदूर और टेक्निकल वर्ग की मुख्य समस्या रही है। लोग चाहते हैं कि प्रवासी मजदूरों के हितों की सुरक्षा के लिए विशेष मंत्रालय बने और इनका डेटा रखा जाए।
Discussion of Bihar elections from roads to factories in UAE, Bihari living here wants international airport in the state


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