लॉकडाउन के चलते कर्नाटक सरकार ने राज्य के 210 "ए" ग्रेड के मंदिरों में ऑनलाइन पूजा और दर्शन शुरू कर रही है। भक्त कोकु के सुब्रह्मण्यम मंदिर, कोल्लुर के मूकांबिका मंदिर, मैसूरु के चामुंडेश्वरी मंदिर, बेंगलुरु के कटेलु दुर्गापरमेश्वरी मंदिर और वनशंकरी मंदिर सहित 210 मंदिरों में ई-पूजा और दर्शन कर सकेंगे।
भक्त ऑनलाइन करीब 30 तरह की सेवाओं के लिए बुकिंग कर सकेंगे और लाइव स्ट्रिमिंट से देख भी पाएंगे। इनमें जल चढ़ाने से लेकर महामस्ताभिषेक जैसी सेवाएं शामिल हैं। इन ए ग्रेड मंदिरों में इस समय दान की राशि ना के बराबर है। इन सभी में महीने के कम से कम 25 लाख रुपए का दान प्राप्त होता है। ऑनलाइन सेवा और पूजा बुक कराने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद कुरियर के जरिए उनके घर भेजा जाएगा।
60 दिन से प्रवेश बंद
करीब 60 दिनों से भी ज्यादा समय से कर्नाटक के मंदिरों में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद है। इस दौरान दान की आवक में भारी गिरावट हुई। इससे राज्य सरकार को राजस्व में भी खासा नुकसान उठाना पड़ा है। मंदिरों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब हो रही है, दैनिक गतिविधियों के संचालन में भी परेशानी आ रही है। दूसरा पहलू ये भी है कि मंदिरों में कई लोग अपनी मन्नतों वाली पूजा कराना चाहते हैं लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने मंदिरों की आय बढ़ाने और मंदिरों की व्यवस्था सुचारू करने के लिए ये फैसला किया है।
- सेवाओं के हिसाब से रहेगा शुल्क
मंदिर में की जाने वाली पूजा और सेवाओं का शुल्क अलग-अलग होगा। पूजा के महत्व और उसकी सामग्री, समय आदि के आधार पर उनकी राशि तय की जाएगी। इसमें प्रसाद और कुरियर आदि के पैसे भी शामिल रह सकते हैं। ये सेवाएं मंदिरों के हिसाब से भी अलग-अलग होंगी। इनकी पूरी सूची और राशि तय की जाएगी।
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कर्नाटक में कुल 35 हजार से ज्यादा मंदिर
कर्नाटक में कुछ 35 हजार मंदिर हैं। इन्हें सरकार ने तीन श्रेणियों ए, बी और सी में बांटा है। महीने के 25 लाख रुपए तक के दान वाले मंदिरों को ए श्रेणी में रखा है। इस श्रेणी में करीब 210 मंदिर हैं। पिछले साल मार्च से मई के बीच इन मंदिरों में कर्नाटक सरकार को करीब 110 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला था। इस साल इन तीनों महीनों में इन मंदिरों को कोई दान राशि नहीं मिली है।
- सी श्रेणी के मंदिरों ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका
ए लिस्ट मंदिरों को सरकार ऑनलाइन कर रही है लेकिन कर्नाटका के 98 प्रतिशत से ज्यादा मंदिर सी श्रेणी के हैं। जिनमें दान की राशि भी कम है। ऐसे सभी मंदिर के अर्चकों और पुजारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है कि उन्हें जीवनयापन और मंदिर की गतिविधियों को संचालित करने के लिए सरकारी मदद मिलनी चाहिए। इस याचिका पर बुधवार, 27 मई को सुनवाई भी होनी है।
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