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Monday 30 November 2020

माउंट आबू में लगातार तीसरे दिन जमी बर्फ, बिहार में दिख रहा पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और तेज शीत लहर का असर

देश के उत्तरी इलाकाें में हाे रही बर्फबारी और पश्चिमी विक्षाेभ खत्म हाेने के साथ उत्तरी हवाएं सक्रिय हाेने से माउंट आबू में लगातार सर्दी का असर बना हुआ है। हालांकि साेमवार काे माउंट आबू का न्यूनतम तापमान 1 डिग्री बढ़ा है, लेकिन इससे सर्दी से काेई राहत नहीं मिली। माउंट आबू में साेमवार काे न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तथा अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस रिकाॅर्ड किया गया।

तापमान 2 डिग्री पर रहने से यहां सवेरे जगह-जगह ओस की बूंदें बर्फ बनी नजर आई और देर तक वादियाें में भी काेहरा छाया रहा। माउंट आबू में पड़ रही कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए यहां आने वाले सैलानियाें के साथ स्थानीय लाेग भी गर्म कपड़ाें में नजर आए तथा अलाव जलाकर सर्दी से बचने का जतन किया। यहां साेमवार सुबह मकानाें और हाेटलाें के बगीचाें की घास, नक्की झील पर खड़ी बाेट की सीटाें, मकानाें के बाहर खड़ी कार की छत और शीशाें पर बर्फ जम गई। गुरुशिखर, ओरिया और अचलगढ़ क्षेत्र में भी सवेरे मैदान और खेताें में ओस की बूंदें बर्फ में तब्दील हाे गई।

पटना: रात में बढ़ेगी ठंड, गिरेगा पारा, सुबह में रहेगी धुंध

पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और तेज शीत हर का असर बिहार पर भी पड़ेगा। न्यूनतम तापमान में कमी आएगी और रात में ठंड बढ़ेगी। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के वैज्ञानिक अमित सिन्हा ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में नया सिस्टम बन रहा है, जिसका असर बिहार पर नहीं पड़ेगा, लेकिन उत्तर भारत में तेज शीतलहर और बर्फबारी से आसपास के राज्याें में ठंड बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि तालाब और नदी के किनारे में मौजूद शहरों में सुबह में कोहरा भी छाया रहेगा।

सोमवार को भी पटना में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में आंशिक वृद्धि हुई। पटना का अधिकतम तापमान 26.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो रविवार की तुलना में 0.8 डिग्री सेल्सियस अधिक है, वहीं न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो 0.6 डिग्री सेल्सियस अधिक है। राज्य में सबसे कम न्यूनतम तापमान गया में 9.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।



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माउंट आबू में पेड़ की टहनियाें पर जमी ओस की बूंदें।


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वियतनाम में 3 महीने बाद लोकल ट्रांसमिशन का पहला केस, चीन ने किम जोंग उन को वैक्सीन दिया

दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 6.35 करोड़ के पार हो गया। 4 करोड़ 39 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 14 लाख 73 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। वियतनाम में करीब तीन महीने बाद लोकल ट्रांसमिशन यानी स्थानीय संक्रमण का पहला मामला सामने आया है। पहली लहर में जिन देशों ने कोरोनावायरस पर काबू पाया था, उनमें वियतनाम भी अहम था।

वियतनाम में फिर संक्रमण फैलने का खतरा
कोरोनावायरस को सबसे बेहतरीन तरीके से काबू करने वाले देशों में वियतनाम की मिसाल दी जाती है। अब यहां संक्रमण की दूसरी लहर के संकेत मिल रहे हैं। देश की हेल्थ मिनिस्ट्री ने सोमवार रात कहा कि तीन महीने बाद लोकल ट्रांसमिशन का पहला मामला सामने आया है। माना जा रहा है कि यह मामला देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले शहर हो चि मिन्ह का है। संक्रमित वियतनाम एयरलाइंस के एक फ्लाइट अटेंडेंट का रिश्तेदार है। अब यहां पहले की तरह सख्ती से ट्रैक एंड ट्रैस प्रोग्राम शुरू कर दिया गया है। क्वॉरैंटीन फेसेलिटीज को भी नए सिरे से अलर्ट पर रहने को कहा गया है।

हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा- अस्थायी तौर पर कुछ हिस्सों में लॉकडाउन लगा दिया गया है। लॉकडाउन सिर्फ वहां लगाया गया है जहां यह पॉजिटिव व्यक्ति गया था। माना जा रहा है कि उसके संपर्क में 12 से ज्यादा लोग आए थे। इन सभी को क्वॉरैंटीन किया गया है। महामारी शुरू होने के बाद वियतनाम में अब तक कुल 1347 मामले सामने आए हैं। 35 लोगों की मौत हुई। देश की जनसंख्या करीब 95 लाख है।

चीन ने किम जोंग उन को वैक्सीन दिया
अमेरिका के एक एनालिस्ट ने दावा किया है कि चीन ने नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और उनके परिवार को वैक्सीन दिया है। अमेरिकी एनालिस्ट ने यह दावा जापान की दो इंटेलिजेंस रिपोर्ट के आधार पर किया है। दावा ये भी किया जा रहा है कि नॉर्थ कोरिया में कई लोगों को वैक्सीन दिया गया है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। ये भी साफ नहीं है कि नॉर्थ कोरिया में चीन ने किस कंपनी का और कौन सा वैक्सीन भेजा है।

नॉर्थ कोरिया ने किसी नए संक्रमित की पुष्टि नहीं की है। लेकिन, साउथ कोरिया की खुफिया सूत्रों का कहना है कि नॉर्थ कोरिया में बड़े पैमाने पर संक्रमित हो सकते हैं। इसकी वजह यह है कि यहां के लोगों का चीन से संपर्क काफी ज्यादा है।

अमेरिकी लोगों को मिल सकती है राहत
अमेरिका में क्रिसमस के पहले वैक्सीनेशन शुरू हो सकता है। हेल्थ सेक्रेटरी एलेक्स अजार ने सोमवार को कहा कि फाइजर कंपनी की वैक्सीन को जल्द मंजूरी मिल सकती है। इस बारे में हेल्थ डिपार्टमेंट और एफडीए के अफसरों के बीच बातचीत जारी है। एफडीए ही वैक्सीन को मंजूरी देगी। फिलहाल, कंपनी और हेल्थ अफसरों के बीच बातचीत चल रही है। फाइजर का दावा है कि उसकी वैक्सीन 94.1% इफेक्टिव है।

अमेरिका के हॉलीवुड में वैक्सीन ट्रायल के दौरान एक वॉलेंटियर को डोज देता हेल्थ स्टाफर। अमेरिकी हेल्थ सेक्रेटरी ने कहा है कि क्रिसमस के पहले देश में वैक्सीन मुहैया कराई जा सकती है। सबसे पहले फाइजर कंपनी की वैक्सीन को मंजूरी मिल सकती है। (फाइल)

फ्रांस में 4 हजार से ज्यादा केस
यूरोपीय देशों में संक्रमण का खतरा बरकरार है। फ्रांस में सोमवार को कुल 4,005 नए मामले सामने आए। इसी दौरान 406 संक्रमितों की मौत हो गई।

कोलंबिया बॉर्डर नहीं खोलेगा
कोलंबिया सरकार ने सोमवार को फिर साफ कर दिया कि देश में संक्रमण का खतरा कम नहीं हुआ है। लिहाजा, सभी सीमाएं 16 जनवरी तक बंद रखी जाएंगी। सरकार ने एक बयान में कहा- हमने जो सख्त प्रतिबंध लगाए थे, उनके अच्छे नतीजे मिले हैं और हम नहीं चाहते कि यह मेहनत खराब हो। इसलिए, फिलहाल बॉर्डर खोलने का फैसला टाल दिया है। यह 16 जनवरी के पहले नहीं किया जाएगा।



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वियतनाम के हनोई शहर में सोमवार को स्कूटर पर जाते लोग। देश में तीन महीने बाद स्थानीय संक्रमण का पहला मामला सामने आया है। संक्रमित हो चि मिन्ह सिटी में पाया गया है।


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इन्हें राेकने के लिए राेबाेटिक भेड़िया बनाया, इसके गुर्राते ही भालू भाग जाते हैं

जापान के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इन दिनों कोरोनावायरस से कहीं ज्यादा जंगली भालुओं के खौफ से परेशान हैं। यहां पिछले 6 महीनों के दौरान भालुओं के हमले की 13 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं, जो पांच सालों में सबसे ज्यादा है। सितंबर से अब तक 65 लोग हमले में जान गंवा चुके हैं।

भालू अब जंगल छाेड़कर शहर का रुख करते हुए फसलाें काे भी बर्बाद कर रहे हैं। परेशान किसानाें ने भालुओं से बचने का अनोखा तरीका ढूंढ़ निकाला है। अब वे भालुओं को भगाने के लिए रोबोटिक भेड़िए का इस्तेमाल कर रहे हैं। सेंसरयुक्त राेबाेटिक भेड़िया चलता-फिरता नहीं, लेकिन उसकी गुर्राहट, इसकी लाल चमकदार आंखें और खुले हुए जबड़े को देखकर जंगली जानवर भाग खड़े होते हैं।

ये रोबोटिक भेड़िया डेढ़ मीटर लंबा और 1 मीटर ऊंचा है। असली जानवर का लुक देने के लिए इस रोबोट के ऊपर जंगली जानवर जैसी खाल भी लगाई गई है। साथ ही यह अपना सिर 180 डिग्री के कोण पर घुमा सकता है। यह रोबोटिक भेड़िया सौर ऊर्जा से चलता है और तभी प्रतिक्रिया देता है, जब उसके सेंसर एरिया में कोई हलचल होती है।

इसके परीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने इसकी पीठ पर कैमरा लगा दिया था। इसकी रिकॉर्डिंग में दिखा कि इसको देखकर भालू समेत कई खतरनाक जानवर दुम दबाकर भाग गए थे। इसके बावजूद कई भालू भटकते हुए शहर आ जाते हैं। 16 अक्टूबर को इशिकावा के शाॅपिंग माॅल में एक भालू घुस आया। 13 घंटाें तक लाेग दहशत में रहे। उसने एक व्यक्ति के कंधे और पैर चबाकर बुरी तरह जख्मी कर दिया। पुलिस भी उस पर काबू नहीं पा सकी और आखिरकार उसे गाेली मार दी गई।

भालुओं की बढ़ती संख्या और खाने की कमी के कारण हमले बढ़ रहे

टाेक्याे यूनिवर्सिटी में पर्यावरण शिक्षा के प्राेफेसर केविन शाॅर्ट का कहना है कि जंगलों में भालुओं को खाना भी नहीं मिलेगा, ताे वे कैसे जी सकते हैं। एक और कारण है- इनकी बढ़ती संख्या। जापान में 15 से 20 हजार भालू हैं। इनका वजन 200 से 600 किग्रा है। पहले लाेग इनका शिकार करते थे। लेकिन 1915 के बाद से इनका शिकार नहीं हाे रहा है, इसलिए वे भी बेखाैफ हाे गए हैं और हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।



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सितंबर से अब तक 65 लोग हमले में जान गंवा चुके हैं। (फाइल फोटो)


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बाइडेन की प्रेस टीम में सिर्फ महिलाएं, भारतवंशी नीरा टंडन नीतियों की निगरानी करेंगी

अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपनी कम्युनिकेशन यानी प्रेस टीम में सिर्फ महिलाओं को ही रखा है। ऐसा करने वाले वे पहले राष्ट्रपति हैं। कम्युनिकेशन की 7 सदस्यीय टीम का नेतृत्व केट बेडिंगफील्ड करेंगी। केट इसके पहले बाइडेन के चुनावी कैंपेन की डिप्टी कम्युनिकेशन डायरेक्टर रह चुकी हैं।

इसके अलावा डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रवक्ता रह चुकीं जेन साकी को प्रेस सेक्रेटरी बनाया गया है। वहीं, भारतवंशी नीरा टंडन को इकाेनाॅमी टीम में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। नीरा को बाइडेन की नीतियों पर अमल की देखरेख करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। वे सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस नाम के थिंक टैंक की प्रेसिडेंट और सीईओ हैं। बाइडेन ने कहा कि वो अपने प्रशासन को विविध बनाएंगे, जो देश की विविधता और उसकी संस्कृति को दर्शाएगा।

बाइडेन 20 जनवरी 2021 को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। यह इसलिए भी खास है, क्योंकि इसमें भारतीयों को अहम जिम्मेदारी मिल रही है। कमला हैरिस के रूप में पहली बार भारतीय मूल की महिला दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति की उप-राष्ट्रपति बनने वाली हैं। उनके साथ नीरा टंडन भी होंगी। नीरा को 2012 में नेशनल जर्नल ने वाशिंगटन की 25 सबसे ताकतवर महिलाओं में शामिल किया था। वे ओबामा प्रशासन में सलाहकार रह चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक बाइडेन उन्हें डायरेक्टर ऑफ द व्हाइट हाउस बजट ऑफिस की जिम्मेदारी दे सकते हैं।

वहीं, सेसिला राउज का नाम काउंसिल ऑफ इकोनॉमिक एडवाइजर के प्रमुख के तौर पर सामने आ रहा है। नीरा इससे पहले ओबामा प्रशासन में स्वास्थ्य सलाहकार भी रह चुकी हैं। 2016 के अमेरिकी चुनाव के दौरान वे हिलेरी क्लिंटन की सलाहकार भी रह चुकी हैं। इधर, अर्थशास्त्री जारेड बेर्न्सटीन और हीदर बाउशे को इकोनॉमिक एडवाइजर बनाया गया है।

बाइडेन ने कहा- अभी और भी महिलाओं को प्रशासन में जगह दी जाएगी

बाइडेन की टीम में निर्वाचित उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की चीफ ऑफ स्टाफ रहीं कैरीन जीन पीयरे प्रिंसिपल डिप्टी प्रेस सेक्रेटरी होंगी। वहीं, पाइली टोबर को डिप्टी कम्युनिकेशंस डायरेक्टर बनाया गया है। सोमवार को जो बाइडेन ने कहा कि प्रशासन में विविधता के लिए अभी और भी महिला डायरेक्टर्स को तैनात किया जाएगा, क्योंकि मुझे उन पर पूरा भरोसा है। मैं जानता हूं कि वे अपने काम को बखूबी अंजाम देकर अमेरिका को नई दिशा देंगीं।



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भारतवंशी नीरा टंडन को इकाेनाॅमी टीम में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। (फाइल फोटो)


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कोरोना वैक्सीन के ट्रांसपोर्टेशन के लिए देश के एयरपोर्ट तैयार, इनमें मुंबई सबसे आगे

ट्रायल के नतीजों के ऐलान के साथ ही देश में कोरोना वैक्सीन पाने और उसे दूसरी जगहों पर पहुंचाने की कवायद तेज हो गई है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक जेबी सिंह ने बताया, “हमारे सभी एयरपोर्ट पूरी तरह से तैयार हैं। सरकार से जैसे ही निर्देश मिलता है, हम वैक्सीन लॉजिस्टिक्स का काम शुरू कर देंगे।’ दिल्ली एयरपोर्ट का प्रबंधन देखने वाले डायल के पीआरओ सर्वोत्तम ने बताया कि वह भी पूरी तरह तैयार हैं। उनके पास 1.5 लाख मीट्रिक टन कोल्ड चेन स्टोरेज की क्षमता है।

मुंबई तो इस मामले में दो कदम आगे है। वहां का छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट वैक्सीन के ट्रांसपोर्टेशन और मैनेजमेंट के लिए जल्द ही एक टास्क फोर्स बनाने जा रहा है। यह टास्क फोर्स एयरपोर्ट, क्लाइंट, रेगुलेटरीज और सरकारी संस्थाओं जैसे शेयर होल्डर्स के बीच पुल का काम करेगी।

केंद्र सरकार ने कोरोना के हालात पर चर्चा करने को 4 दिसंबर को ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है। कोरोना काल में यह दूसरी बैठक होगी, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी करेंगे। सूत्रों ने बताया कि संसद के दोनों सदनों में पार्टियों के नेताओं को शुक्रवार सुबह 10: 30 बजे ऑनलाइन बुलाया गया है। इसमें वैक्सीन पर भी चर्चा हो सकती है।

जुलाई-अगस्त तक 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की योजना: हर्षवर्धन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि अगले छह महीने में देश के 25-30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना है। उन्होंने कहा कि अगले साल के शुरुआती तीन-चार महीनों में इस बात की संभावना है कि देश में वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी।

सप्लाई का गणित : 14 अरब डाेज पहुंचाने के लिए 8000 कार्गो विमान

दुनिया की आबादी करीब 7 अरब है। प्रति व्यक्ति दो डोज के हिसाब से पूरी आबादी को टीका लगाने के लिए 14 अरब डोज चाहिए होंगे। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अलेक्जेंडर डे जुनैक ने बताया कि यह दुनिया का सबसे जटिल ट्रांसपोर्टेशन होगा। करीब 110 टन क्षमता के जंबो जेट बोइंग-747 विमानों को 8000 उड़ानें भरनी पड़ेंगी।

उम्मीद: फाइजर को इस हफ्ते मिल सकती है आपात इस्तेमाल की मंजूरी

फाइजर को जल्द ही यूनाइटेड किंगडम में वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है। फाइजर बायोएनटेक एसई के साथ टीका बना रही है।

अर्जी: माॅडर्ना ने अमेरिका और यूरोप में आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांग रही

मॉडर्ना अपनी वैक्सीन का अमेरिका और यूरोप में आपात इस्तेमाल करने की मंजूरी के लिए एप्लीकेशन दे रही है। उसका दावा है कि आखिरी फेज की स्टडी के नतीजों में टीका 94.1% असरदार रहा। उसका यहां तक दावा है कि गंभीर मरीजों पर टीका 100% कारगर है। फाइजर अगले साल के आखिर तक 130 करोड़, जबकि मॉडर्ना 50 करोड़ डोज देना चाहता है। एस्ट्राजेनेका की उत्पादन क्षमता 200 करोड़ डोज की है।



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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि अगले छह महीने में देश के 25-30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना है।


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दिल्ली बॉर्डर पर पांचवें दिन भी डटे रहे किसान; मोदी की काशी में देव दीपावली और कोरोना पर बड़ी कामयाबी

नमस्कार!
प्रधानमंत्री सोमवार को वाराणसी पहुंचे। सात घंटे तक वे अपने संसदीय क्षेत्र में रहे। यहां उन्होंने किसानों से लेकर राम तक की चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोरोना में काफी कुछ बदला, लेकिन काशी की शक्ति-भक्ति और ऊर्जा आज भी वैसी ही है। यहां के निवासी ही देव हैं, जो आज भी दीप जला रहे हैं।
बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • मौसम विभाग ने निवार के बाद बंगाल की खाड़ी में एक और तूफान की चेतावनी दी है। तमिलनाडु, केरल और लक्षद्वीप के तटीय इलाकों में 1 से 4 दिसंबर तक इससे भारी बारिश हो सकती है।
  • आज से रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट यानी RTGS सुविधा 24 घंटे और सातों दिन उपलब्ध रहेगी। अब लोग RTGS के जरिए साल के 365 दिन कभी भी पैसों का लेन-देन कर सकेंगे।
  • सरकार हर महीने की पहली तारीख को रसोई गैस यानी LPG सिलेंडरों के दामों की समीक्षा करती है। आज देशभर में रसोई गैस के दाम बदल सकते हैं। हालांकि, पिछले दो महीनों से इसके दाम नहीं बदले हैं।

देश-विदेश
मोदी बोले- किसानों को छलने वाले झूठा डर दिखा रहे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। उन्होंने प्रयागराज-वाराणसी 6 लेन हाईवे का लोकार्पण किया। यहां उन्होंने 40 मिनट के भाषण में 26 मिनट किसानों पर बात की। उन्होंने कहा कि MSP और यूरिया के नाम पर छल करने वाले अब कृषि कानूनों पर झूठा डर दिखा रहे हैं। मोदी ने कहा- मैं काशी की पवित्र धरती से कहना चाहता हूं कि अब छल से नहीं, गंगाजल जैसी नीयत से काम किया जा रहा है।

काशी विश्वनाथ का अभिषेक करने क्रूज से पहुंचे मोदी
मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर भी पहुंचे। यहां उन्होंने बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया। मंदिर पहुंचने के लिए मोदी ने क्रूज की सवारी की। विश्वनाथ कॉरिडोर का जायजा लेकर मोदी देव दीपावली में शामिल हुए। इसके बाद वे भगवान बुद्ध की तपस्थली सारनाथ गए।

पांचवें दिन भी जारी रहा किसानों का प्रदर्शन
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन सोमवार को 5वें दिन भी जारी रहा। किसानों ने दिल्ली के 5 एंट्री पॉइंट्स को सील करने की बात कही थी। इसके बाद पुलिस ने सिंघु और टिकरी बॉर्डर को आवाजाही के लिए बंद कर दिया। अब सरकार ने उन्हें मंगलवार को दोपहर 3 बजे बातचीत के लिए बुलाया है। इससे पहले 14 अक्टूबर और 13 नवंबर को भी सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया था।

PM मोदी का मिशन कोरोना कवच
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 दिन में दूसरी बार कोरोना वैक्सीन बनाने वाली टीमों से बात की। उन्होंने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जेनोवा बायोफार्मा, बायोलॉजिकल ई और डॉ. रेड्डीज की टीमों से चर्चा की। पीएम ने लोगों को वैक्सीन के बारे में आसान भाषा में जानकारी देने की अपील की। मोदी ने शनिवार को पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट, अहमदाबाद के जायडस बायोटेक पार्क और हैदराबाद में भारत बायोटेक फैसिलिटी का दौरा किया था।

कोरोना पर 4 दिसंबर को ऑल पार्टी मीटिंग
सरकार ने कोरोना के मुद्दे पर 4 दिसंबर यानी शुक्रवार को सुबह 10.30 बजे ऑल पार्टी मीटिंग (सर्वदलीय बैठक) बुलाई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होने वाली इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी। कोरोना पर ये दूसरी ऑल पार्टी मीटिंग होगी।

बाबा आमटे की पोती ने सुसाइड किया
कुष्ठ रोगियों के लिए आनंदवन संस्था चलाने वाले डॉक्टर बाबा आमटे की पोती डॉक्टर शीतल आमटे (41) ने सोमवार तड़के चंद्रपुर में अपने घर में आत्महत्या कर ली है। उन्होंने जहर का इंजेक्शन लगाकर जान दी। कुछ दिन पहले उन्होंने आमटे महारोगी सेवा समिति में घोटाले की बात कही थी। वे समिति की CEO थीं। जान देने से पहले शीतल ने सोशल मीडिया पर वॉर एंड पीस की एक्रेलिक पेंटिंग शेयर की थी।

भास्कर एक्सप्लेनर
कोरोना ने एविएशन इंडस्ट्री को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) का अनुमान है कि दुनियाभर में एविएशन इंडस्ट्री को 31 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। कई देशों में डोमेस्टिक फ्लाइट्स तो शुरू हो गई हैं, लेकिन इंटरनेशनल फ्लाइट्स अभी भी पूरी तरह ऑपरेशनल नहीं हैं। इंडस्ट्री को उबारने के लिए IATA ने कोविड पासपोर्ट का प्लान पेश किया है।
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पॉजिटिव खबर
आज कहानी इलाहाबाद की गीता जायसवाल की। कभी एक-एक रुपए के लिए परेशान थीं। टिफिन सेंटर शुरू करने से लेकर इडली-सांभर के स्टॉल तक की उनकी कहानी बेहद इंस्पायरिंग है। एक टिफिन से पूरा बिजनेस खड़ा किया। कोरोना के चलते जब काम ठप हो गया, तो उन्होंने नए सिरे से शुरुआत की। अब वे इडली-सांभर और डोसा का स्टॉल लगाती हैं। महीने में 40 से 45 हजार रुपए की कमाई होती है।
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ब्रह्मपुत्र पर चीन बनाएगा सबसे बड़ा बांध
चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर अब तक का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है। अगले साल से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाएगा। इससे भारत और बांग्लादेश की चिंता बढ़ गई है। दोनों ही देश ब्रह्मपुत्र के पानी का इस्तेमाल करते हैं। भारत ने चीन से ट्रांस बॉर्डर नदी समझौते का पालन करने को कहा है।

कुछ मामलों में मॉडर्ना की वैक्सीन 100% असरदार
अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना ने बताया कि वह अपनी कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की मंजूरी के लिए अमेरिका और यूरोपियन रेगुलेटर्स को अप्लाई करेगी। वैक्सीन के लास्ट स्टेज ट्रायल के बाद कंपनी ने दावा किया कि यह कोरोना से लड़ने में 94% तक कारगर है। कुछ गंभीर मामलों में तो इसने 100% असर दिखाया है।

सुर्खियों में और क्या है...

  • दिल्ली में अब प्राइवेट लैब में 800 रुपए में कोरोना टेस्ट कराया जा सकेगा। सीएम अरविंद केजरीवाल ये जानकारी दी।
  • कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें अब यूरोप में हो रहीं हैं। इटली, पोलैंड, रूस, यूके, फ्रांस समेत 10 देशों में हर दिन 3 से 4 हजार लोग दम तोड़ रहे हैं।
  • जापान के क्राउन प्रिंस फुमिहितो ने अपनी बेटी माको को बॉयफ्रेंड केई कोमुरो से शादी करने की इजाजत दे दी है। शादी लंबे समय से टल रही थी।


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सादगी का मतलब गरीबी में जीना नहीं होता, अपनी सभी चीजों का सही उपयोग करना ही सादगी है

कहानी- घटना महात्मा गांधी से जुड़ी है, जब वे दक्षिण अफ्रीका में वकालत कर रहे थे। गांधीजी सादगी से जीवन जीने पर विश्वास करते थे। एक दिन उन्हें अपने घर का बजट बनाया तो देखा कि कपड़े धुलवाने के लिए काफी पैसे खर्च हो रहे हैं। वकील थे, तो वे अपनी शर्ट के ऊपर कॉलर बदल-बदलकर पहनते थे।

गांधीजी ने सोचा, 'शर्ट को रोज धोने की जरूरत नहीं है, लेकिन कॉलर तो रोज धोनी ही पड़ती है। इसके लिए धोबी को काफी पैसा देना पड़ता है, तो अब से मैं अपने कपड़े खुद धोना शुरू करूंगा।'

कॉलर में कलफ लगाना पड़ता था, जिससे वह कड़क रहे। गांधीजी ने कपड़े धोने का नया काम सीखा था तो एक दिन कॉलर पर कलफ ज्यादा लग गया। ऐसी ही कॉलर लगाकर वे अपने काम पर चले गए।

गांधीजी के साथी वकीलों ने देखा कि उनकी कॉलर से कुछ गिर रहा है। इस बात का सभी वकीलों ने मजाक बनाया और कहा कि क्या हमारे यहां धोबियों का अकाल पड़ गया है। तब गांधीजी ने कहा, 'अपने कपड़े खुद धोना कोई छोटी बात नहीं है। कोई भी नया काम सीखते हैं तो जीवन में काम ही आता है।'

गांधीजी कुछ ही समय में कपड़े बहुत अच्छी तरह धोने लगे और वे प्रेस भी बहुत अच्छी तरह करने लगे थे। काफी समय बाद उन्हें इसका फायदा भी मिला।

एक बार गोपालकृष्ण गोखले को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में सम्मान समारोह जाना था। वहां गोखले जी का ही सम्मान होना था। उस समय उनके पास एक खास चादर थी। ये चादर उन्हें स्व. महादेव गोविंद रानाडे ने दी थी। इस वजह से वे चादर बहुत संभालकर रखते थे।

गोखले जी वही चादर ओढ़कर सम्मान समारोह में जाना चाहते थे, लेकिन चादर पर सिलवटें पड़ रही थीं। उस समय वहां कोई धोबी भी नहीं था। तब गांधीजी ने कहा, 'ये चादर मुझे दीजिए, मैं इसे प्रेस कर देता हूं।'

गोखले जी ने व्यंग्य करते हुए कहा, 'तुम्हारी वकालत पर तो मैं भरोसा कर सकता हूं, लेकिन धोबीगिरी पर भरोसा नहीं कर सकता। तुम मेरी प्रिय चादर बिगाड़ दोगे।'

तब गांधीजी ने इस बात कि जिम्मेदारी ली कि चादर खराब नहीं होगी। इसके बाद गांधीजी ने चादर बहुत अच्छी प्रेस कर दी। चादर देखकर गोखले जी ने कहा, 'गांधी तुम सच में निराले हो, जो भी काम करते हो, पूरे मन से करते हो।'

सीख- अपने निजी काम खुद करना चाहिए। अपने काम खुद करने का मतलब गरीबी में जीना नहीं होता। अपनी सभी चीजों का सही उपयोग करना और अपने काम खुद करना ही सादगी है।



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कोरोना ने खत्म किया बिजनेस तो इंडली-सांभर का स्टॉल लगाया, हर महीने 50 हजार कमा रहीं

आज कहानी इलाहाबाद की गीता जायसवाल की। कभी एक-एक रुपए के लिए परेशान थीं। बेटी की पढ़ाई तक अच्छे से नहीं करवा पा रहीं थीं। आज महीने का 50 हजार रुपए कमाती हैं। टिफिन सेंटर शुरू करने से लेकर इडली-सांभर के स्टॉल तक की उनकी कहानी इंस्पायरिंग है। ये कहानी जानिए उन्हीं की जुबानी...

गीता बताती हैं- ये बात इलाहाबाद की है। तब मैं पति के साथ रहती थी। एक छोटी बच्ची थी। पति जो कमाते थे, उससे बमुश्किल घर चल पाता था। मेरे पास अपनी बेसिक जरूरतों को पूरा करने के भी पैसे नहीं होते थे। बच्ची की अच्छी पढ़ाई-लिखाई भी हम नहीं करवा पा रहे थे।
उन्होंने कहा, 'मैं सोच रही थी कि, ऐसा क्या करूं, जिससे चार पैसे कमा सकूं। किसी ने मुझे टिफिन सेंटर शुरू करने की सलाह दी। मैं एक लड़की को टिफिन देने लगी। कुछ दिन बाद एक पीजी का काम मुझे मिल गया। वहां 15 बच्चों के लिए खाना देना था। तब मैं 1800 रुपए में तीन टाइम खाना दिया करती थी। सुबह से देर रात तक मेहनत होती थी, लेकिन इससे मेरे पास महीने के आठ से दस हजार रुपए बचने लगे थे।'

'खाना अच्छा था तो धीरे-धीरे टिफिन बढ़े और संख्या 40 तक पहुंच गई। 2011 से 2016 तक यही चलता रहा। फिर उस पीजी का काम बंद हो गया तो ग्राहक भी चले गए। नए ग्राहक मिल नहीं रहे थे। इलाहाबाद में मैं कुछ और कर नहीं सकती थी, क्योंकि बेइज्जती का डर था। मेरी एक बहन दिल्ली में रहती थी तो मैं 2016 में ही अपनी बच्ची को लेकर दिल्ली आ गई। मकसद साफ था कि खाने-पीने से जुड़ा कुछ काम करना है।'

गीता ने इस तरह से बिजनेस की शुरूआत की थी। कहती हैं, इतने पैसे भी नहीं थे कि अपना ठेला लगा सकें।

दिल्ली में पहला बिजनेस फेल हो गया
वो बताती हैं कि मैं अपनी दिल्ली वाली बहन के घर में ही रहने लगी और कुछ दिनों बाद पूड़ी-कचौड़ी, ब्रेड पकौड़ा बेचने का स्टॉल लगाया, लेकिन वो काम ज्यादा चला नहीं। ग्राहक नहीं मिल रहे थे तो मैंने फिर टिफिन सेंटर शुरू करने का सोचा। जहां रहती थी, वहां सब जगह पर्चे चिपका दिए। कई दिनों बाद एक ऑर्डर मिला। जिसने ऑर्डर दिया, वो IAS की तैयारी कर रहा था। उसे खाना अच्छा लगा तो उसके जरिए इंस्टीट्यूट के कई लड़कों ने टिफिन लेना शुरू कर दिया। मैंने साढ़े तीन हजार रुपए में तीन टाइम मील दिया करती थी। काम अच्छा सेट हो गया था। महीने का 35 से 40 हजार रुपए निकलने लगे थे। चार साल ये सब चलते रहा लेकिन मार्च 2020 में सब बंद हो गया।

कोरोना ने टिफिन का बिजनेस जीरो पर ला दिया
उन्होंने कहा- चार दिन में ही मेरे टिफिन 60 से घटकर 4 पर आ गए। मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। फिर किसी ने बताया कि कोरोना वायरस आया है, इसलिए सब जा रहे हैं। मेरा पूरा जमा हुआ काम बंद हो गया। कुछ दिनों में जो जुड़ा पैसा था, वो भी खत्म होने लगा तो मैं एक हार्ट पेशेंट की देखरेख की काम करने लगी। उन्हीं के घर रहती थी। बच्ची को उसकी मौसी के पास छोड़ दिया था। तीन महीने तक वहीं रही।

अब गीता का बिजनेस पूरी तरह सेट हो चुका है। फूड स्टॉल के लिए जरूरी सेटअप भी उन्होंने खड़ा कर लिया।

इडली-सांभर के स्टॉल से मिली सक्सेस, अब महीने की बिक्री 90 हजार की
वो बताती हैं- जुलाई में दोबारा अपने घर आई तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। किराया देना था। बच्ची की स्कूल-ट्यूशन की फीस देना थी। बड़ी हिम्मत करके मैंने एक बार फिर फूड स्टॉल शुरू किया, लेकिन इस बार इडली-सांभर बेचने का सोचा, क्योंकि इसमें लागत कम आती है और हर उम्र के लोग ये पंसद करते हैं। 28 जुलाई को काम शुरू किया था। कुछ दिनों में ही बिजनेस अच्छा सेट हो गया। मैं शालीमार बाग में स्टॉल लगाती हूं। शाम 5 से रात 10 बजे तक स्टॉल लगता है। 40 से 50 ग्राहकों का आना आम बात है। इडली के साथ ही डोसा भी बेचती हूं। अब एक दिन का तीन से साढ़े तीन हजार रुपए का बिजनेस है। सब काटकर महीने का 40 से 45 हजार रुपए बच जाता है।'

गीता कहती हैं कि सोशल मीडिया पर वीडियो बनाने वाले कई लोगों ने मेरी मदद भी की। इसी काम को अब आगे बढ़ाना है। अब टिफिन सेंटर नहीं चलाऊंगी। कोरोना ने पहले मेरे लिए बहुत बड़ी दिक्कत खड़ी कर दी थी, लेकिन इसी से मैं एक नए बिजनेस पर शिफ्ट हो पाई और अभी सब ठीक चल रहा है। सबकी उधारी चुका दी। बच्ची की कोचिंग-स्कूल की फीस भी भर दी। उसे ज्यादा से ज्यादा पढ़ाना-लिखाना और कुछ बनाना ही मेरा सपना है।



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मार्च में गीता का टिफिन सेंटर का काम एकदम से बंद हो गया। जुलाई में उन्होंनें नए बिजनेस से शुरूआत की और अब पहले से ज्यादा कमाती हैं।


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पिछले 6 साल में 10 राज्यों में BJP की सरकार बनी और 7 में CM; 4 में अभी भी इंतजार

हैदराबाद में निकाय चुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है। इससे पहले यहां का चुनावी कैंपेन सुर्खियों में रहा। राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे खासी तवज्जो मिली। इसके पीछे वजह रही BJP के बड़े नेताओं का मैदान में उतरना। गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी के फायरब्रांड मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गजों ने यहां रोड शो और रैलियां कीं। अब सवाल उठता है कि आखिर निकाय चुनाव के लिए BJP बड़े नेताओं को क्यों मैदान उतार रही है। 90 के दशक में तो अटल-आडवाणी विधानसभा चुनावों में भी ऐसा कैंपेन नहीं करते थे।

दरअसल, तब की भाजपा और अब की भाजपा और उसकी पॉलिटिकल स्ट्रेटजी में बहुत कुछ बदला है। इसे समझने के लिए हमें फ्लैशबैक में जाना होगा। 2014 में प्रचंड बहुमत के साथ देश में भाजपा की सरकार बनी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और अमित शाह मैन ऑफ द मैच। इस पॉलिटिकल टूर्नामेंट को जीतने के दो महीने बाद भाजपा की कमान अमित शाह को सौंप दी गई। इसके बाद मोदी-शाह की जोड़ी ने अपनी टीम और रणनीति दोनों नए सिरे से गढ़ना शुरू किया। पी टू पी यानी पंचायत से पार्लियामेंट के फार्मूले पर काम करना शुरू किया।

पार्टी के बड़े नेताओं को बूथ स्तर तक जाकर जमीन तैयार करने को कहा गया। खुद अमित शाह ने पन्ना प्रमुखों के साथ बैठकें शुरू कीं। कोशिश रही कि हर राज्य में भाजपा की सरकार हो या वह सरकार में रहे। इसके लिए उन्होंने जोड़-तोड़ से भी गुरेज नहीं किया और एक के बाद एक राज्यों में भाजपा की सरकार बनती गई। खासकर गैर हिंदी राज्यों में।

2014 लोकसभा के दौरान ही ओडिशा में विधानसभा के चुनाव हुए थे। तब भाजपा को सिर्फ 10 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन इसके बाद अमित शाह ने यहां के निकाय चुनावों में जोर लगाना शुरू किया। बड़े नेताओं को मैदान में उतारा। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और झारखंड के तब के सीएम रघुवर दास ने कैम्पेन का मोर्चा संभाला। पार्टी को इसका फायदा भी हुआ और 297 सीटों पर जीत मिली। तभी लगने लगा था कि अब भाजपा वहां मजबूती से पैर पसार रही है और उसका असर अगले विधानसभा और 2019 के लोकसभा में भी देखने को मिला। बूथ स्तर तक जाकर राजनीति करने का ही नतीजा था कि लोकसभा में भाजपा को 8 और विधानसभा में 23 सीटें मिलीं।

GHMC के चुनाव में भाजपा पूरी ताकत झोंक रही है। रविवार को सिकंदराबाद में गृह मंत्री अमित शाह ने रोड शो किया।

2014 के आखिर में महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव हुए। भाजपा छोटे भाई की भूमिका में नहीं रहना चाहती थी और शिवसेना से अलग होकर अकेले मैदान में उतरी। वह राज्य में सबसे बड़े दल के रूप उभरी। उसे 122 सीटें मिलीं। सबसे बड़ी बात की महाराष्ट्र में भाजपा का पहली बार मुख्यमंत्री बना। इसके पहले भाजपा महाराष्ट्र में छोटे भाई की ही भूमिका में होती थी। 2019 के चुनाव में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन शिवसेना ने गठबंधन से अलग होकर कांग्रेस और NCP के साथ सरकार बना ली।

2014 में ही जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा के लिए चुनाव हुआ। इसमें भाजपा को बड़ी सफलता मिली। PDP के बाद वो सबसे बड़ी पार्टी बनी और 25 सीटें जीतीं। एक रणनीति के तहत भाजपा PDP के साथ सरकार में शामिल हो गई। हालांकि, ज्यादा दिन दोनों की दोस्ती नहीं चली और ढाई साल बाद BJP अलग भी हो गई।

2016 में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, पुड्डुचेरी और असम विधानसभा के चुनाव हुए। भाजपा ने पश्चिम बंगाल, केरल और असम पर ज्यादा जोर लगाया। अमित शाह ने पश्चिम बंगाल और केरल में जोरदार प्रचार किया, जबकि मोदी ने असम का मोर्चा संभाला। असम में भाजपा को अप्रत्याशित सफलता मिली। उसने 86 सीटें हासिल करके कांग्रेस के एक दशक के शासन का अंत कर दिया, लेकिन पश्चिम बंगाल में भाजपा सिंगल डिजिट में ही रह गई।

हालांकि, तब भाजपा बंगाल में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कामयाब रही। उसका फायदा लोकसभा चुनाव में हुआ और पहली बार भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी और 18 सीटें हासिल कीं। इस बार सत्ता की सीधी लड़ाई भाजपा और टीएमसी के बीच है। हाल ही में अमित शाह बंगाल दौरे से लौटे हैं।

केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में भाजपा की दाल नहीं गली। केरल में सिर्फ एक सीट पर BJP को जीत मिली, जबकि तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में खाता नहीं खुला। अरुणाचल प्रदेश में 2016 में काफी राजनीतिक उठापटक हुई। यहां कांग्रेस के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने 43 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। अब पेमा खांडू बीजेपी से अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

2017 में अगर गैर हिंदी भाषी राज्यों की बात करें तो पंजाब, गुजरात, मणिपुर और गोवा में चुनाव हुए। इनमें से पंजाब को छोड़ दें तो बाकी जगह भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रही। मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी बनी कांग्रेस लेकिन सरकार बनी भाजपा की। इसी तरह गोवा में भी कांग्रेस बड़ी पार्टी बनी, लेकिन मुख्यमंत्री बना भाजपा का।

2018 की शुरुआत त्रिपुरा और कर्नाटक में चुनाव हुए। त्रिपुरा में BJP ने वामपंथ के किले को ध्वस्त कर दिया और राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। कर्नाटक में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन कुमारस्वामी ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। हालांकि, यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और 2019 में फिर से भाजपा सत्ता में आ गई। इसके अलावा मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में भी 2018 में चुनाव हुए। यहां भाजपा को कुछ खास नहीं मिला, लेकिन वह सरकार में शामिल हो गई। इन तीनों ही राज्यों में भाजपा सरकार में है।

2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही आन्ध्र प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए। इसमें आंध्र और सिक्किम में खाता नहीं खुला। ओडिशा में BJP पहले से मजबूत हुई। जबकि, अरुणाचल में खुद के दम पर भाजपा की सरकार बनी। अगले साल पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, पुड्डुचेरी और असम में चुनाव होने हैं। इसमें से असम में भाजपा सरकार में है। पश्चिम बंगाल में वह टीएमसी को कड़ी टक्कर दे रही है, जबकि तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में देखना दिलचस्प होगा कि इस बार यहां कमल खिलता है या नहीं।



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2014 में प्रचंड बहुमत के साथ देश में भाजपा की सरकार बनी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और अमित शाह मैन ऑफ द मैच। इसके बाद भाजपा की पॉलिटिकल स्ट्रेटजी बदल गई।


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क्या फ्लाइट में सफर करना मुश्किल भरा होगा? जानें कोरोना के दौर में क्या बदलने वाला है?

कोरोनावायरस ने किसी इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, तो वो है एविएशन। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) का अनुमान है कि कोरोना की वजह से दुनियाभर की एविएशन इंडस्ट्री को अभी तक 31 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

भारत समेत कई देशों में डोमेस्टिक फ्लाइट तो शुरू हो गई हैं, लेकिन इंटरनेशनल फ्लाइट अभी भी पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई हैं। यही वजह है कि कोरोना के असर से इंडस्ट्री को उबारने के लिए IATA एक नया प्लान लेकर आई है और वो है कोविड पासपोर्ट। ये क्या है? इसकी जरूरत क्यों पड़ी? क्या इससे हवाई सफर करना मुश्किल हो जाएगा? आइए जानते हैं...

कोविड पासपोर्ट क्या है?
दरअसल, IATA एक मोबाइल ऐप पर काम कर रहा है, जो दुनियाभर में ट्रैवल पास की तरह समझा जाएगा। इस ऐप को कोरोना की वजह से लाने का प्लान है, इसलिए इसे कोविड पासपोर्ट कहा जा रहा है। IATA के इस ऐप में यात्री के कोरोना टेस्ट, उसे वैक्सीन लगी है या नहीं (वैक्सीन आने के बाद) जैसी जानकारी होगी। इसके साथ ही इस ऐप में यात्री के पासपोर्ट के ई-कॉपी भी होगी।

इस ऐप पर यात्री का QR कोड होगा, जिसे स्कैन करते ही उसकी सारी डिटेल सामने आ जाएगी। ये ऐप IATA के मौजूदा टाइमैटिक सिस्टम पर बेस्ड होगी, जिसका इस्तेमाल डॉक्यूमेंट को वेरिफाई करने के लिए होता है। इसके साथ ही ये ऐप ब्लॉक-चैन टेक्नोलॉजी पर काम करेगा और इसमें यूजर का डेटा स्टोर नहीं होगा।

इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
इसकी जरूरत इसलिए पड़ रही है, क्योंकि इंटरनेशनल फ्लाइट से आने वाले पैसेंजर्स कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं। चीन की वेबसाइट साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, पिछले दिनों शंघाई में कई कोरोना पॉजिटिव केस आए। इनमें से कई ऐसे थे जो यात्रा करके लौटे थे।

9 नवंबर से भारत और ओमान के बीच एयर बबल एग्रीमेंट के तहत इंटरनेशनल उड़ान शुरू हुई। इस दौरान भी कई यात्री पॉजिटिव निकले, जिसके बाद सीटों की संख्या 10 हजार से घटाकर 5 हजार कर दी गई।
वहीं, हॉन्गकॉन्ग ने भी कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद 3 दिसंबर तक एयर इंडिया की फ्लाइट पर रोक लगा दी है। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में आने वाले हर व्यक्ति के लिए RT-PCR टेस्ट कराना जरूरी कर दिया है। फिर चाहे वो बस से आए या ट्रेन से या फ्लाइट से।

इंटरनेशनल फ्लाइट से कोरोना पॉजिटिव आने के बाद IATA को एक ऐसे ऐप की जरूरत महसूस हुई, जो यात्री के कोरोना टेस्ट से लेकर उसकी हर डिटेल बता सके। ताकि दोबारा से इंटरनेशनल फ्लाइट को सही तरह से शुरू किया जा सके और बार-बार इन्हें रोकने की जरूरत न पड़े।

क्या और भी कोई कारण?
हां। कोरोना की वजह से दुनिया की इकोनॉमी को झटका लगा है। एविएशन इंडस्ट्री को भी नुकसान झेलना पड़ा है। IATA के मुताबिक, कोरोना की वजह से इस साल एयरलाइन कंपनियों को 84.3 अरब डॉलर यानी करीब 6.23 लाख करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। जबकि, उनके रेवेन्यू में भी 419 अरब डॉलर (31 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान होने की आशंका है। इसके अलावा यात्रियों की संख्या भी कम हो गई। एविएशन के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब पायलटों की भी नौकरियां गईं। इन्हीं सबसे उबरने के लिए ऐसी कोशिशें की जा रही हैं।

क्या इससे हवाई सफर करना मुश्किल हो जाएगा?
नहीं, बल्कि इससे हवाई सफर पहले की तरह ही सेफ होगा। अमेरिका सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) का कहना है कि फ्लाइट में यात्री जगह-जगह सतहों को छूते हैं। कम जगह होने की वजह से यहां सोशल डिस्टेंसिंग भी रख पाना मुमकिन नहीं है।

कुछ फ्लाइट में इन-बिल्ट एयर फिल्ट्रेशन और वेंटिलेशन सिस्टम होता है, जो किसी भी तरह के वायरस को फैलने नहीं देता और फ्लाइट के अंदर की हवा को साफ करता रहता है, लेकिन ऐसा सिस्टम हर फ्लाइट में नहीं होता। इसलिए कोविड पासपोर्ट होने से इन सारी परेशानियों से बचा जा सकेगा।

IATA कब तक इस ऐप को लॉन्च कर देगा?
इस साल इस ऐप की पायलट टेस्टिंग शुरू हो जाएगी। जबकि, मार्च 2021 तक इसे एपल डिवाइस के लिए लॉन्च करने की बात कही जा रही है। वहीं, एंड्रॉयड डिवाइस के लिए इसे अप्रैल 2021 तक लॉन्च किया जा सकता है।



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What Is Covid Passport, Digital Passport? International Air Transport Association Is Working On Mobile App


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मुंबई के एक अस्पताल में 50% कोरोना पीड़ितों में कावासाकी के लक्षण, जानें क्या है और कैसे बचें

दुनिया भर में कोरोना के मरीजों में कावासाकी के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। लेकिन अभी तक इसके लक्षण जिन कोरोना पीड़ितों में देखने को मिले, उनमें ज्यादातर बच्चे थे। कावासाकी वैसे भी बच्चों की बीमारी मानी जाती है। लेकिन क्या हो जब यह बीमारी बच्चों के साथ-साथ 40 से 60 साल के एडल्ट्स में भी दिखने लगे?

कोरोनावायरस पर अभी भी तमाम रिसर्च जारी है, बहुत सी रिपोर्ट आ भी चुकी हैं। अभी तक यह संक्रमण डॉक्टर्स और रिसर्चर्स के लिए पहेली ही बना हुआ है। हाल ही में मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल के ICU में एडमिट कोरोना के 50% से ज्यादा मरीजों में कावासाकी के लक्षण दिखे। हैरान करने वाली बात यह है कि इनकी उम्र 40 से 60 साल के बीच है।

भोपाल AIIMS की डॉ. उमा कुमारी कहती हैं कि कोरोना की वजह से इम्यून डिसऑर्डर हो रहा है। कावासाकी भी इसी वजह से होता है। यह बच्चों की बीमारी है, एडल्ट में इसके लक्षण दिखने की वजह रिसर्च का विषय है।

क्या होता है कावासाकी?

  • कावासाकी रोग को म्यूकोस्यूटियस लिम्फ नोड सिंड्रोम भी कहा जाता है। यह बचपन में होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है, जो ब्लड वेसल्स को प्रभावित करती है। ये त्वचा, नाक, गले और मुंह के अंदर स्थित म्यूकस मेम्ब्रेन पर प्रभाव डालती है।

  • कावासाकी होने पर बच्चों की पूरी बॉडी में रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाती है। इससे कोरोनरी आर्टरी क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। यह रक्त वाहिकाएं ब्लड को हार्ट तक लेकर जाती हैं। इससे हार्ट की दिक्‍कत भी हो सकती है।

कावासाकी रोग होना कितना सामान्य है?

  • जापान, कोरिया और ताइवान समेत वेस्ट एशिया में कावासाकी रोग 10-20 गुना ज्यादा है। इससे पीड़ित अधिकतर बच्चे पांच वर्ष से कम उम्र के होते हैं। लड़कियों की तुलना में लड़कों में इसकी संभावना दोगुनी होती है।

कावासाकी रोग के क्या लक्षण हैं?

इस बीमारी के लक्षण कई स्टेज में उभर कर आते हैं। पहले और दूसरे स्टेज में इसका इलाज आसानी से हो जाता है। लेकिन अगर यह तीसरे या उसके बाद के स्टेज में पहुंच जाए, तो इससे उबरने में सालों लग जाते हैं। तीसरे या उसके बाद की स्टेज में इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं।


कावासाकी रोग का क्या कारण है?

  • एक्सपर्ट्स के पास अभी तक इस बीमारी के सटीक कारण के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। अक्सर कावासाकी रोग सर्दियों के अंत में होता है।

  • कई सिद्धांतों में इस बीमारी का संबंध बैक्टीरिया, वायरस या पर्यावरणिक वजहों से जोड़ा गया है, लेकिन अभी तक इनमें से किसी भी वजह की पुष्टि नहीं की गई है। कुछ जीन आपके बच्चे में कावासाकी रोग के फैलने की संभावना बढ़ा सकते हैं।

हार्ट के लिए खतरनाक कावासाकी

यह बीमारी हार्ट को प्रभावित करती है। कावासाकी रोग से पीड़ित ज्यादातर बच्चे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं और उन्हें किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है। हालांकि, ज्यादा बढ़ जाने से यह हार्ट को बुरी तरह डैमेज कर सकता है।


कोरोना से इसका क्या कनेक्शन

  • डॉ. उमा के मुताबिक, कोरोना में हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। उसे हम दोबारा भी मेंटेन कर सकते हैं। लेकिन बहुत से पीड़ितों में इम्यून डिसऑर्डर की समस्या भी देखी जा रही है।

  • इम्यून डिसऑर्डर में हमारे इम्यून सिस्टम ठीक से फंक्शन नहीं करते। इसके चलते कई बार ये अपने ही बॉडी के खिलाफ ट्रिगर कर जाते हैं।

  • कावासाकी भी इम्यून डिसऑर्डर से होता है। लेकिन इसे अभी पुख्ता तौर पार नहीं कहा जा सकता कि कोरोना पीड़ितों में कावासाकी के लक्षण दिखने की वजह इम्यून डिसऑर्डर है।

कोरोना के दौर में इससे भी बचना जरूरी

  • डॉ. उमा कहती हैं कि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि कावासाकी के लक्षण सभी कोरोना पीड़ितों में देखने को मिल रहे है। लेकिन यह बीमारी ठंड में होती है, इसलिए इस दौर में अगर कोरोना हो जाता है, तो इसके भी होने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों में यह खतरा विशेष तौर पर है। इससे बचने का एक ही तरीका है कि हम खुद को मजबूत रखें।



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Kawasaki symptoms in 50% corona victims in a hospital in Mumbai, know what is and how to avoid


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जब दुनिया के किसी मुस्लिम देश में पहली बार चुनी गई महिला प्रधानमंत्री, सिर्फ 35 साल थी उनकी उम्र

हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में आज ही के दिन कोई महिला प्रधानमंत्री बनी थी। ये न सिर्फ पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं, बल्कि किसी मुस्लिम देश की भी पहली महिला थीं, जो प्रधानमंत्री बनीं। इनका नाम था बेनजीर भुट्टो। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सबसे बड़ी बेटी थीं बेनजीर, जिनका जन्म 21 जून 1953 को कराची शहर में हुआ था।

बेनजीर भुट्टो ने अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। 1977 में बेनजीर लंदन से पाकिस्तान लौट आईं। 1978 में जनरल जिया उल-हक पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने। उनके आते ही बेनजीर के पिता जुल्फिकार अली भुट्टो को हत्या के एक मामले में फांसी हो गई। पिता की मौत के बाद बेनजीर ने राजनीतिक विरासत को संभाला।

10 अप्रैल 1986 को उन्होंने पाकिस्तान में सैन्य शासन के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया। 1988 में एक प्लेन क्रैश में जिया उल-हक की मौत हो गई। उसके बाद 1 दिसंबर 1988 को बेनजीर पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। प्रधानमंत्री बनने से 3 महीने पहले ही उन्होंने बेटे को जन्म दिया था। जिस समय वो प्रधानमंत्री बनीं, उस समय उनकी उम्र 35 साल थी।

बेनजीर भुट्टो दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं। पहली बार 1988 से 1990 तक और दूसरी बार 1993 से 1996 तक। भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए जाने पर बेनजीर को 1999 में देश छोड़ना पड़ा था। 2007 में जब फौजी ताकत दम तोड़ रही थी और लोग लोकतंत्र के लिए आवाज उठा रहे थे, तब बेनजीर भुट्टो लौटी थीं। 27 दिसंबर 2007 को चुनाव प्रचार के दौरान उनकी हत्या कर दी गई।

लंदन के मैडम तुसाद म्यूजियम पर लगा मैडम तुसाद का मोम का पुतला।

मोम के पुतले बनाने वाली मैडम तुसाद का जन्म
1 दिसंबर 1761 को मैडम तुसाद का जन्म फ्रांस के स्ट्रासबर्ग में हुआ था। उनका नाम मैरी ग्रासहोल्ट्ज था। उनकी मां पेरिस में डॉ. फिलिप कर्टियस के यहां काम करती थीं। डॉ. कर्टियस मोम के पुतले बनाया करते थे। डॉ. कर्टियस से ही मैडम तुसाद ने मोम के पुतले बनाना सीखा। मैडम तुसाद ने 16 साल की उम्र में पहला मोम का पुतला बनाया था। उन्होंने उस समय एक फिलॉस्फर फ्रैंक्वाइस वॉल्टैयर का पुतला बनाया था।

फ्रेंच रिवोल्यूशन के दौरान उन्होंने तीन महीने जेल में भी काटे। 1794 में उन्होंने फ्रैंक्वाइस तुसाद से शादी की। 1835 में उन्होंने लंदन की बेकर स्ट्रीट पर पहला स्टूडियो खोला। 1850 में 89 साल की उम्र में मैडम तुसाद का निधन हो गया। 1884 में उनका म्यूजियम बेकर स्ट्रीट से मेरिलबोन रोड पर शिफ्ट कर दिया गया, जहां ये आज भी है।

भारत और दुनिया में 1 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:

  • 1640 : पुर्तगाल की 60 वर्ष की गुलामी के बाद स्पेन आजाद हुआ।
  • 1761 : मोम के पुतलों के संग्रहालय बनाने वाली मैडम तुसाद का जन्म।
  • 1959 : दुनिया के 12 देशों ने अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर कर अंटार्कटिक महाद्वीप को तमाम सैन्य गतिविधियों से मुक्त करके वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए संरक्षित रखने का संकल्प लिया।
  • 1959 : बाहरी अंतरिक्ष से पृथ्वी का पहला रंगीन फोटो लिया गया।
  • 1963 : नगालैंड भारत का 16वां राज्य बना।
  • 1965 : सीमा सुरक्षा बल (BSF) की स्थापना।
  • 1973 : इजरायल के संस्थापक डेविड बेन गुरियन का निधन।
  • 1987 : अफगानिस्तान में नए संविधान के अनुसार डॉ. नजीबुल्लाह को देश का राष्ट्रपति चुना गया।
  • 1991 : एड्स डे की शुरुआत।
  • 1990 : पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित का निधन।
  • 2001 : अफगानिस्तान में कंधार एयरपोर्ट पर तालिबान विरोधी कबायली संगठन का कब्जा।
  • 2008 : बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष शिवचंद्र झा का निधन।


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Aaj Ka Itihas India World 1 December 2020 | Pakistan First Female PM Benazir Bhutto, BSF Establishment Year


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किसान पर पुलिस की बर्बरता की फोटो कांग्रेसी प्रोपेगैंडा है? BJP आईटी सेल के हेड का दावा झूठा

क्या हो रहा है वायरल : राहुल गांधी ने 28 नवंबर को एक फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की। फोटो में एक बुजुर्ग किसान को सुरक्षा बल का जवान लाठी मारता दिख रहा है।

भाजपा आईटी सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने राहुल को जवाब देते हुए 15 सेकंड का वीडियो पोस्ट किया। वीडियो में दिख रहा है कि पुलिसकर्मी ने लाठी उठाई जरूर, पर किसान को लाठी लगी नहीं।

सोशल मीडिया पर अमित मालवीय द्वारा शेयर किया गया वीडियो अब इसी दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि असल में पुलिस ने किसी पर लाठी बरसाई ही नहीं। भास्कर ने इस दावे की पड़ताल की।

और सच क्या है ?

  • राहुल गांधी ने सिर्फ एक फोटो शेयर किया। अमित मालवीय ने भी केवल 15 सेकंड का ही वीडियो शेयर किया। इंटरनेट पर हमने वीडियो के की-फ्रेम्स के जरिए वह पूरा वीडियो खंगालना शुरू किया, जिसका छोटा हिस्सा शेयर कर अमित मालवीय ने इसे प्रोपेगैंडा बताया है।
  • EURO News की वेबसाइट पर हमें 50 सेकंड का वीडियो मिला। इसमें देखा जा सकता है कि वृद्ध किसान पर एक के बाद एक सुरक्षा बल के 2 जवानों ने लाठी मारी। यही नहीं, इसके बाद कई अन्य प्रदर्शनकारियों को भी लाठी मारी गई।
  • RT के यूट्यूब चैनल पर 1:30 मिनट के इस वीडियो में भी देखा जा सकता है कि बुजुर्ग किसान के बाद कई अन्य प्रदर्शनकारियों पर भी सुरक्षा बल के जवानों ने लाठियां भांजीं।

  • साफ है कि भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय का ये दावा झूठा है कि वायरल फोटो में दिख रहे किसान के साथ हिंसा नहीं हुई।


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Rahul Gandhi Vs Amit Malviya BJP IT Cell; Congress leader shared Pictures On Twitter Which Farmer Beaten By Cops


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हर 100 सेकंड में एक बच्चा HIV से संक्रमित हो रहा, कोरोनाकाल में 60% का ट्रीटमेंट अटका

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है, हर 100 सेकंड में एक बच्चा HIV से संक्रमित हो रहा है। पिछले साल दुनियाभर में HIV से 3,20,000 बच्चे और टीनएजर्स संक्रमित हुए। इनमें से 1,10,000 बच्चों की मौत हो गई। इसके बावजूद कोरोनाकाल में HIV के मरीजों के ट्रीटमेंट पर बुरा असर पड़ा है। मरीजों का ट्रीटमेंट छूटा और जांच भी ठप हो गई। आज वर्ल्ड एड्स डे है। इस मौके पर जानिए कोरोनाकाल में HIV मरीजों पर क्या असर पड़ा....

कोरोना और HIV मरीजों की चुनौतियां, 4 बड़ी बातें

1. इलाज और टेस्टिंग 60 फीसदी तक घटी
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोनाकाल में HIV यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस से संक्रमित बच्चों के इलाज और टेस्टिंग में 60 फीसदी तक गिरावट आई। एंटी-रेट्रोवायरल थैरेपी भी 50 फीसदी मरीजों को नहीं दी जा सकी। बच्चों की टेस्टिंग भी 10 फीसदी कम हुई। पिछले कुछ महीनों में हालात सुधरे हैं, लेकिन 2020 के टार्गेट से दूर हैं।

2. 73 देशों ने बताया, दवाओं का स्टॉक खत्म होने वाला है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, कोरोना की वजह से एड्स की जीवनरक्षक दवाएं मरीजों तक पहुंचाने में बाधाएं आईं। WHO का एक सर्वे कहता है, 73 देशों ने चेताया है कि कोविड-19 महामारी के कारण उनके यहां एड्स की जीवनरक्षक दवाओं का स्टॉक खत्म होने वाला है। 24 देशों ने कहा, उनके यहां एड्स की जरूरी दवाएं या तो बहुत कम हैं या उनकी सप्लाई बुरी तरह बाधित हुई है।

3. सबसे बुरा समय लॉकडाउन रहा
HIV के मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कतें लॉकडाउन में आईं। दिल्ली, मुम्बई, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े शहरों में ओपीडी और दूसरे सेंटर बंद कर दिए गए। मुम्बई के रहने वाले अमन (बदला हुआ नाम) लॉकडाउन में दवाएं लेने एआरटी सेंटर जाने के लिए निकले लेकिन उन्हें रास्ते में ही रोककर घर वापस भेज दिया। देश के कई शहरों में यही हाल रहा। बाद में सरकार ने दवाएं लेने के लिए ढील तो दी लेकिन ट्रांसपोर्ट ठप होने के कारण मरीज दवाओं से दूर रहे।

4. मरीजों में खत्म नहीं हुआ डर
HIV के मरीजों को रोज दवाएं लेना जरूरी है, ऐसा न होने पर वायरस फिर से एक्टिव हो सकता है। मरीजों को एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी की दवाएं दी जाती हैं। एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी की दवाइयों की तीन लाइन होती है। अगर किसी वजह से पहली लाइन की दवाइयां रुक जाएं तो दूसरी लाइन शुरू करनी पड़ती है। दूसरी लाइन की दवा हर अस्पताल में मौजूद नहीं होती है, इसलिए भी मरीजों डर खत्म नहीं हुआ।

एंटी रेट्रोवायरल दवाओं के 3 लाइन के फर्क को ऐसे समझा जा सकता है। HIV के मरीज का शुरुआती इलाज लाइन-1 की दवा से होता है। इसका मतलब है पहली स्टेज। जब इन दवाओं का असर कम होने लगता है तो डॉक्टर्स मरीजों को लाइन-2 यानी दूसरी स्टेज की दवाएं देना शुरू करते हैं। जब लाइन-2 की भी दवाओं का असर खत्म हो जाता है, तब मरीज को लाइन-3 की दवा खाने की जरूरत पड़ती है।

HIV के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में और सबसे कम अरुणाचल प्रदेश में
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, देशभर में 23.49 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हैं। इसके सबसे ज्यादा 3.96 लाख मरीज महाराष्ट्र में हैं। वहीं, सबसे कम 1 हजार मामले अरुणाचल प्रदेश में हैं।

एड्स और HIV में कंफ्यूज मत हों, इसका फर्क समझें
मेडिकल फील्ड की सबसे विश्वसनीय वेबसाइट वेबएमडी के मुताबिक, एड्स की शुरुआत ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस के संक्रमण से होती है। यह वायरस असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई या ब्लड के जरिए इंसान में पहुंचता है। अगर HIV का इलाज नहीं करते हैं तो एड्स हो सकता है। एड्स HIV की सबसे खतरनाक स्टेज है।

HIV इंसान के रोगों से लड़ने की क्षमता को धीरे-धीरे कमजोर करता रहता है। जरूरी नहीं है कि जिस इंसान में HIV का संक्रमण हुआ तो उसे एड्स हो। अगर लगातार ट्रीटमेंट कराते हैं तो HIV के संक्रमण को एड्स की स्टेज पर पहुंचने से रोका जा सकता है।

कब कराएं HIV टेस्ट

जिन लोगों के पार्टनर HIV पॉजिटिव हैं उन्हें यह टेस्ट कराना चाहिए। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और जिन लोगों को बार-बार अन्य बीमारियों का संक्रमण होता है, उन्हें यह टेस्ट जरूर कराना चाहिए। अगर गर्भवती मां HIV संक्रमित है तो दवाओं के जरिए बच्चे में यह वायरस जाने से रोका जा सकता है।

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HIV AIDS Patients and Coronavirus Connection: Here is United Nation Latest Report


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