अमेरिका कोरोना से सबसे प्रभावित देश है। यहां सबसे अधिक केस सामने आ रहे हैं और मौतें भी सर्वाधिक हो रही हैं, लेकिन फेडरल सरकार ने वैज्ञानिकों की सलाह दरकिनार कर खानपान संबंधी नई गाइडलाइन जारी कर दी।
दरअसल, अमेरिका में एग्रीकल्चर विभाग और डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज मिलकर हर पांच साल में खानपान संबंधी गाइडलाइन जारी करते हैं। सरकार इसका उपयोग स्कूलों में लंच मेन्यू आदि के मानक तय करने और खानपान संबंधी विभिन्न नीतियां बनाने में करती है।
आम अमेरिकी भी खानपान का पैमाना इसी से तय करते हैं। अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न कंपनियां भी इसी के आधार पर अपने खाद्य उत्पाद अपडेट करती हैं। मंगलवार को जारी गाइडलाइन में अनुशंसा की गई है कि 2 साल से छोटे बच्चों को कृत्रिम शकर वाले प्रॉडक्ट देने से परहेज किया जाए। वहीं ड्रिंक और कृत्रिम शकर के मामले में 2015 की गाइडलाइन को ही दोहराया गया है।
इसमें कहा गया है कि नागरिक कुल कैलोरी में कृत्रिम शकर की मात्रा अधिकतम 10 फीसदी रखें और पुरुष रोज दो ड्रिंक से अधिक न लें। वहीं महिलाओं को रोज एक से अधिक ड्रिंक न लेने की सलाह दी गई है। ड्रिंक और कृत्रिम शकर संबंधी दोनों अनुशंसाएं जुलाई में वैज्ञानिकों की सलाह के विपरीत है।
वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया था कि प्रत्येक व्यक्ति को कृत्रिम शकर की मात्रा कुल कैलोरी की 6 फीसदी से कम कर देनी चाहिए और पुरुषों को रोज एक ड्रिंक से अधिक नहीं लेना चाहिए। ताजा गाइडलाइन पर आलोचकों ने सवाल उठाया है कि इसमें महामारी का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा गया है।
वैज्ञानिकों ने कहा था कि प्रमाण बताते हैं कि पेय पदार्थों में इस्तेमाल कृत्रिम शकर से मोटापा बढ़ता है। इससे हृदय रोग और टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। मालूम हो, अमेरिका में दो तिहाई से अधिक वयस्क मोटापे, डायबिटीज और अन्य संबंधित बीमारियों से जूझ रहे हैं। इससे कोविड-19 के गंभीर होने का भी खतरा बढ़ जाता है।
मात्रा सीमित करना सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक रूप से अस्वीकार्य
सांता क्लारा यूनिवर्सिटी के डॉ. वेस्टली क्लार्क ने कहा कि अधिक पीना सेहत के लिए हानिकारक है, लेकिन सामान्य ड्रिंकिंग से ऐसा होने के सबूत नहीं हैं। ड्रिंक की मात्रा सीमित करना कई लोगों के लिए सामाजिक, धार्मिक या सांस्कृतिक रूप से अस्वीकार्य हो सकता है। इसका बाकी गाइडलाइन पर उल्टा प्रभाव पड़ सकता है।
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