Wednesday 22 April 2020

37 साल के डॉ. एडम और नीना अपने 18 महीने के बेटे नोलन की वसीयत बना रहे हैं, ताकि उनके बाद बेटे की देखभाल हो सके

(जेसी ड्रकर)न्यूयॉर्क सिटी के दो युवा माता-पिता डॉ. एडम और डॉ. नीना बुद्धिराजा शहर के सबसे मुश्किल इमरजेंसी रूम में काम कर रहे हैं। 37 साल के डॉ. एडम और डॉ. नीना यह वसीयत बना रहे हैं कि दोनों की मौत हो जाती है, तो 18 महीने के बेटे नोलन की देखभाल कौन करेगा? डॉ. नीना बताती हैं कि पिछले एक महीने से हमारे दिन-रात मरीजों, उनके परिजन और लगातार मौतों के बीच बीत रहे हैं। इस महामारी ने मेडिकल प्रोफेशनल्स को एक ऐसे तनाव में डाल दिया है, जिसकी किसी ने भी उम्मीद नहीं की होगी।

डॉ. नीना के मुताबिक,पति एडम इमरजेंसी डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ के फेसबुक पेज को रोज देखते हैं तो पाते हैं कि हर कोई संघर्ष कर रहा है। एक परिवार नेबच्चों को रिश्तेदारों के पास भेज दिया है। एक डॉक्टर घर के तहखाने में रहने लगे हैं। एक साथी डॉ. तो एयरपोर्ट के पास होटल में शिफ्ट हो गए हैं और एक महीने से परिवार से नहीं मिले।

-

यह सबकुछ भावुक और चिंतित करने वाला है- डॉ. नीना

डॉ. नीना ने बताया किनौकरी छोड़ने के बारे में भी सोचा, लेकिन इन हालातों में पीछे नहीं हट सकती। पिछले हफ्ते एडम के सहयोगी की कोरोना से मौत हो गई, मेरी सहयोगी भी चली गईं। उनकी दो बेटियां हैं। वे हमेशा पूछती थी कि मेरे बाद बच्चों का क्या होगा?यह बेहद भावुक और चिंतित कर देने वाला है।

डॉ. नीना के मुताबिक- यह सब युद्ध के मैदान जैसा है

डॉ. नीना ने बताया कि हम भी सोच रहे हैं कि हमारे बाद बेटे नोलन का क्या होगा? उसकी देखभाल कौन करेगा? हमें यह तय करना है। उसका जन्म समय से तीन महीने पहले हुआ था। उसके फेफड़े काफी नाजुक हैं और उसे संक्रमण का खतरा भी है। हम समय निकालकर उसे घुमाने ले जाते थे, पर अब सब बंद है। लोगों की मदद की जरूरत है, लेकिन परिवार को भी देखना है। हालात अब बेहद मुश्किल हो गए हैं। मुझे लगता है यह युद्ध के मैदान जैसा है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
डॉ. नीना बताती हैं कि इस महामारी ने मेडिकल प्रोफेशनल्स को एक ऐसे तनाव में डाल दिया है, जिसकी किसी ने भी उम्मीद नहीं की होगी।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3eIEvPI
via IFTTT

0 comments:

Post a Comment