Friday, 17 April 2020

दुनियाभर में दो-तिहाई विमान जमीन पर खड़े हैं, लेकिन उन्हें उड़ने लायक बनाए रखने के लिए कंपनियां कर रही हैं जद्दोजहद

कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर में करीब दो-तिहाई (62 फीसदी) विमानों का संचालन नहीं हो रहा है। ये विमान हवाईपट्‌टी से लेकर स्टोरेज तक में एक के बगल में एक खड़े कर दिए गए हैं। उद्योग से जुड़े सर्वेक्षण करने वाली एक कंपनी सीरियम के मुताबिक दुनियाभर में 16,000 से ज्यादा विमान इस समय जमीन पर खड़े हैं। ऐसे में विमानन कंपनियां इनके लिए सही जगह और परिस्थिति तलाश करने से लेकर उन्हें उड़ान के लायक बनाए रखने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं।

सिर्फ धूल-गर्द हटाकर ही आप विमानों को उड़ा नहीं सकते
विमानों को लंबे समय तक खड़े रखने के बाद आप सिर्फ इसके धूल-गर्द हटाकर उड़ा नहीं सकते। आपको हाइड्रोलिक्स मेंटेन करना पड़ता है। कीड़ों-मकोड़ों और जंगली जीवों से बचाने के लिए फ्लाइट-कंट्र्रोल सिस्टम्स की देख-रेख करनी होती है। चिड़ियां विमान में के इंजनों में अपने घोसले बना सकती हैं। नमी से विमान के कंपोनेंट्स में जंग लग सकताहै।

जमीन पर खड़े विमान में तेल भरकर रखना पड़ता है
हवाईपट्‌टी पर खड़े रखने पर भी विमानों में तेल भरकर रखना पड़ता है, ताकि वह बहती हवा में डगमगाते न रहे और टैंक लुबरिकेटेड रहें। नई दिल्ली की विमान रिपेयर एवं मेंटेनेंस कंपनी एयर वर्क्स के सीईओ आनंद भास्कर ने कहा कि किसी ने भी कल्पना नहीं कि थीकि इतना कुछ करना पड़ेगा। पार्किंग एक बड़ी समस्या है।

2.5 करोड़ लोगों की नौकरी खतरे में
विमानन उद्योग पहले से ही संकट में था। अब इनके लिए स्टोरेज का प्रबंधन करने की भी एक समस्या आ गई है। इंटरनेशनल एयर ट्र्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि विमानों का परिचालन नहीं हो पाने के कारण 2.5 करोड़ लोगों की नौकरी खतरे में है।

ऑस्ट्रेलिया के वीरान इलाके से लेकर अमेरिका के मोजेव रेगिस्तान तक में जगह तलाश रहीं कंपनियां
विमानन कंपनियां विमानों के स्टोरेज के लिए ऑस्ट्रेलिया के वीरान इलाकों से लेकर अमेरिका के मोजेव रेगिस्तान तक में जगह तलाश रही हैं। एम्सटर्डम एयरपोर्ट सीफोल के गेट और हवाईपट्‌टी पर केएलएम समूह के 200 से ज्यादा विमान खड़े हैं। उनके बीच इतनी जगह भी छोड़ कर रखी गई है, ताकि उन्हें खींचकर मेंटेनेंस के लिए ले जाया जा सके। केएलएम की कम्युनिटी मैनेजर एनेमिक कोर्नेल्जी ने कहा कि विमानों को कैसे ठीक तरह से रखा जाए, यह एक मुसीबत है। उन्होंने बताया कि सीफोल एयरपोर्ट विमानों को खड़े करने का शुल्क नहीं ले रहा है।

भारत में बड़े विमानों का पार्किंग शुल्क 1,000 डॉलर रोजाना
विमानों को खड़े करने का शुल्क हर एयरपोर्ट पर अलग-अलग होता है। दुबई की मार्टिन कंसल्टिंग एलएलसी के संस्थापक मार्क मार्टिन ने कहा कि भारत में बड़े विमान के लिए सिर्फ पार्किंग शुल्क 1,000डॉलर हो सकता है। यदि किसी कंपनी के पास 250 विमान हैं, तो छह महीने का पार्किंग शुल्क भारी छूट के बाद भी 1.25 करोड़ डॉलर से ज्यादा हो सकता है। इसमें मेंटेनेंस का खर्च शामिल नहीं है। मौजूदा स्थिति में यदि पार्किंग शुल्क को कम न किया जाए, तो यह विमानन कंपनियों कमर तोड़ सकताहै।

विमानन उद्योग में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं आई
अबुधाबी की एतिहाद एयरवेज पीजेएससी ने कहा कि उसके इंजीनियर जमीन पर खड़े विमानों के मेंटेनेंस के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मेंटेनेंस के तहत विमानों के इंजन को चालू किया जाता है और पूरे सिस्टम को सक्रिय किया जाता है। फ्लाइट कंट्रोल की जांच की जाती है। सेंसर्स और इंजन को ढका जाता है, ताकि अंदर की प्रणाली को धूल व गर्द से बचाया जा सके। प्रत्येक पाली में करीब 200 कर्मचारी हैंगर में खड़े विमानों के केबिन की सफाई करते हैं। वे सीट का कवर बदलने से लेकर कार्पेट की शेंपू से सफाई तक का काम करते हैं। एतिहाद के टेक्निकल ऑपरेशन के प्रमुख गैरी बर्नी ने कहा कि मैंने अपने पूरे विमानन करियर में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी।

टायरों व पहियों का भी रखना होता है ध्यान
जमीन पर खड़े विमानों के टायर का भी ध्यान रखना होता है। हर एक या दो सप्ताह में विमानों के पहियों को घुमाना पड़ता है। लैंडिंग गियर को जंग से बचाने के लिए उनमें हाइड्रोलिक फ्लूड डालना पड़ता है। इंजन को सूखा रखने के लिए उनमें बड़े-बड़े सिलिका मॉइस्चर एब्जॉर्प्शनसैशे डालने पड़ते हैं। फ्यूजलेज के सभी बाहरी छिद्रों को ढकना पड़ता है, ताकि उसमें कीड़े प्रवेश न कर पाएं और चिड़िया अपना घोंसला न बना ले।

ऑस्ट्रेलिया की जलवायु विमानों के स्टोरेज के लिए उपयुक्त
ऑस्ट्रेलिया की कंटास एयरलाइंस ने कहा कि उसके 200 से ज्यादा विमान ऑस्ट्रेलिया के अलग-अलग एयरपोर्ट पर खड़े हैं। ऑस्ट्रेलिया की सूखी जलवायु विमानों के स्टोरेज के लिए काफी उपयुक्त है। ऑस्ट्रेलिया में एशिया के मुकाबले तूफान भी कम आते हैं। उत्तरी ऑस्ट्र्रेलिया के शहर एलिस स्प्रिंग्स के निकट एशिया पैसिफिक एयरक्राफ्ट स्टोरेज पीटीवाई में सिंगापुर एयरलाइंस और फिजि एयरवेज जैसी कंपनियों के विमान खड़े किए गए हैं। स्टोरेज कंपनी के प्रबंध निदेशक टॉम विंसेंट के मुताबिक कंपनी 100 और विमानों के स्टोरेज की जगह बना रही है।

कोरोनावायरस के कारण एशिया-प्रशांत के विमानन बाजार का विकास रुका
एशिया प्रशांत क्षेत्र में विमानन बाजार का तेजी से विकास हो रहा था। इंडोनेशिया, वियतनाम, मलेशिया, भारत जैसे देशों की कई किफायती विमानन कंपनियां हजारों विमानों के ऑर्डर दे रही थीं। कोरोनावायरस के कारण इस बाजार का विस्तार थम गया है। इससे बोइंग व एयरबस जैसी विमान निर्माता कंपनियों के ऑर्डर बुक भी प्रभावित हुए हैं।

14 दिनों में एक बार खड़े विमान की बैटरीज को रीकनेक्ट किया जाता है
फिनएयर ऑयज ने अपने विमान हेलसिंकी हब पर रखे हुए हैं। फिनलैंड के टैंपीयर व रोवानेमी एयरपोर्ट पर भी विमानों को रखने कंपनी के पास जगह उपलब्ध हैं। विमानन कंपननी ने अपने वेबसाइट पर कहा कि इन विमानों में हर 14 दिनों पर एयरक्राफ्ट की बैटरीज को फिर से जोड़ा जाता है। महीने में एक बार गहन जांच की जाती है। इसके तहत सुरक्षा आवरण हटाया जाता है। इंजन चालू किया जाता है। एयरकंडीशनिंग और एंटी आइस सिस्टम का परीक्षण किया जाता है।

नई दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर हवाईपट्‌टी को स्टोरेज में तब्दील कर दिया गया है
नई दिल्ली जैसे अधिक विमान वाले एयरपोर्ट पर पार्किंग के अलग से इंतजाम नहीं हैं। यहां सीफॉल की तरह हवाईपट्‌टी को ही एयरक्राफ्ट स्टोरेज में तब्दील कर दिया गया है। गो एयरलाइंस इंडिया लिमिटेड के पूर्व स्टोरेज प्रमुख सत्येंद्र पांडे ने कहा कि विमान को खड़े रखने से उसकी उड़ान की योग्यता प्रभावित होती है। सूखे और गर्म जलवायु वाली जगह विमानों के स्टोरेज के लिए उपयुक्त होती है। इस मुद्दे पर फिर से काम करना होगा, क्योंकि मौजूदा हालत में पूरी दुनिया में विमान जमीन पर खड़े हैं।

फोटो और स्टोरी साभार : ब्लूमबर्ग



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Here’s What You Do With Two-Thirds of the World’s Jets When They Can’t Fly


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