कोरोना काल में पैसेंजर ट्रेनें न चलने और माल ढुलाई कम होने से रेलवे को 24,717 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। इसमें करीब 18,399 करोड़ रुपए पैसेंजर ट्रेनों (12 अगस्त तक) और करीब 6,318 करोड़ रुपए माल ढुलाई के (तीन माह) शामिल हैं।
राहत की बात यह है कि माल ढुलाई मेें पिछले वर्ष की तुलना में महज 20% की कमी आई है। हालांकि पैसेंजर से मिलने वाले राजस्व में 86% की कमी आई है। पैसेंजर भी 2% से कम रह गए हैं। फिलहाल केवल 230 स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं।
मालूम हाे, रेलवे ने 22 मार्च को सभी 13 हजार से अधिक ट्रेनें रद्द कर दी थीं, जो 12 अगस्त तक नहीं चलेंगी। हालांकि 8 हजार से ज्यादा मालगाड़ियां रोज चलती रहीं। रेलवे बोर्ड सदस्य (यातायात) पीके मिश्रा बताते हैं कि 2019 की तुलना में तीन माह में औसतन 80% तक माल ढुलाई हुई है। इस तरह कोराेना से 20% ढुलाई का नुकसान हुआ।
रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार स्पेशल ट्रेनें छोड़ दें तो सामान्य ट्रेनें न चलने से टिकटों के राजस्व में 144 दिन (12 अगस्त तक) में 18,399 करोड़ रु. के नुकसान का अनुमान है।
मालगाड़ियां 8 हजार, पैसेंजर ट्रेनें 13 हजार; पर माल ढोने से दोगुनी कमाई
- पैसेंजर ट्रेनें न चलने से नुकसान: 18,399 करोड़
23 मार्च से 12 अगस्त तक 144 दिन में 21,939 करोड़ का नुकसान अनुमानित है। 230 स्पेशल ट्रेनों से रोज 22 करोड़ रुपए आय हो रही है। 12 मई से 12 अगस्त तक 3,168 करोड़ आय अनुमानित है। 4600 श्रमिक ट्रेनों में 62 लाख पैसेंजरों से 372 करोड़ की आय हुई है।
- 3 माह में कम ढुलाई से नुकसान: 6,318 करोड़
मालगाड़ियों से सालाना आय 1,28,422 करोड़ रुपए और रोज 351 करोड़ रुपए है। तीन माह में 2019 की तुलना में 80% का अचीवमेंट है। यानी 70 करोड़ रुपए का नुकसान राेज हो रहा है। औसतन तीन माह में 6318 करोड़ का अनुमानित नुकसान ढुलाई से हुआ है।
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