Sunday, 5 July 2020

भक्तों को यूट्यूब के जरिए कराया जा रहा लाइव दर्शन, पहले हर महीने आता था 4 करोड़ रुपए का चढ़ावा, इस बार नहीं के बराबर

आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में मल्लिकार्जुन मंदिर है। भगवान शिव का यह मंदिरदेश के12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है।श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर के अंदर कई मंदिर बने हुए हैं,जिनमें मल्लिकार्जुन और भ्रामराम्बा सबसे प्रमुख मंदिर हैं। आज सावन केपहलेसोमवारके मौके परश्रीशैलम से दैनिक भास्कर की लाइव रिपोर्ट पढ़िए।

कोरोनाके चलते रोजाना 3 से 4 हजार लोग ही दर्शन कर रहे हैं। पहले हर दिन 1 लाख तक भक्त दर्शन के लिए आते थे।

सुबह के 5.30 बजे हैं,जगहश्रीशैलम का मल्लिकार्जुन मंदिर। फ्री दर्शन वाले गेट पर सिक्योरिटी वाले हाथ में थर्मल स्कैनरलेकर खड़े हैं। दर्शन के लिए मंदिर 6 बजे खुलेगा। गेट के सामने ही 10 से 15 लोग सफेद गोले में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। आधार कार्ड दिखाकर लोग वीआईपी गेट का टिकट ले रहे हैं। एक टिकट की कीमत 150 रुपए है। हालांकि, इस बारवीआईपी और लोकल में कोई फर्क नहीं है।

अभी तक शैलम पूरी तरह से ग्रीन जोन में है। यहां पर एक भी कोरोनाका केस नही आया है।

दोनों लाइनों में भक्तों की भीड़ नहीं के बराबर है। जहां पहले दर्शन के लिए घंटों लाइन में लगना होता था, वहीं अब 10 मिनट में दर्शन हो रहे हैं। वो भीभगवान के सामनेआराम से खड़े होकर। वीआई गेट पर सबसे पहले सैनिटाइजर से हाथ साफ करना होता है। उसके बाद मंदिर का स्टाफ थर्मल स्कैनर से भक्तों के शरीर का तापमान जांच करता है, उसके बाद ही अंदर प्रवेश की अनुमति मिलती है।

श्री मल्लिकार्जुन मंदिर की दीवारों पर यह आकृति उकेरी गई है। ये सभी शिवलिंग के प्रतीक हैं।

दर्शन के लिए मुंह पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी

यहां से थोड़ा आगे बढ़ने पर पैर धोने के लिएएक मशीन लगाई गई है,जिसमें से 15 से 20 धाराएं निकल रही हैं।भक्त यहां पांव धोकर ही आगे बढतेहैं। मंदिर में प्रवेश करते ही हमने सभा मंडप में नंदी केदर्शन किए और फिर भगवानमल्लिकार्जुनकी प्रतिमा के ठीक सामने खडे हो गए। पहले यहांएक सेकंड भी रुकना मुश्किल होता था।लेकिन, इस बार हमने करीब 1 मिनट तक दर्शन किए।कोरोना के कारण मंदिर की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। दर्शन के लिए मुंह पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है।यहां से हमशक्तिपीठ भ्रमरांबिका देवीमंदिर पहुंचे ।

श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंगकरनूल जिले में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर विराजमान है।

यहदेवी माता पार्वतीकारूप हैं। यहदेश का एक मात्र मंदिर है, जहां पर ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ एक साथ है। इसके बाद मंदिर से बाहर जाने के लिए रास्ता आ जाता है।मल्लिका का अर्थ माता पार्वती का नाम है,वहीं अर्जुन भगवान शंकर को कहा जाता है। यह मंदिर करनूल जिले में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर है। यहां भगवान शिव श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान है।

कोरोनाके कारण मल्लिकार्जुन मंदिर में पहली बार ऑनलाइनसेवा पूजा की शुरुआत हुईहै।मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट पर बुकिंग करनी होगी।

यूट्यूब पर किया जा रहा लाइव प्रसारण

श्रीशैलममंदिर के एग्जीक्यूटिवऑफिसर केसी रामाराव बताते हैं कि मंदिर मे अभी केवल भगवान के दर्शन हो रहे हैं।कोरोनाके कारण मल्लिकार्जुन मंदिर में पहली बार ऑनलाइनसेवा पूजा की शुरुआत हुईहै। इसमें8से10तरह के पूजा और हवन किए जा रहेहैं। भक्त को मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइटपर जाकर पहले कौन सी पूजा करवानी है, उसेबुक करना होगा।

मंदिर के पुजारी मंदिर में पूजा करते हैं उसका यूट्यूब पर लाइव प्रसारण किया जा रहा है।14अप्रैल से शुरू हुई इस पूजा में अभी तक8000से ज्यादा भक्त दर्शन करचुके हैं। इनमें से सबसे ज्यादा महामृत्युंजय मंत्र होमके आवेदन आए हैं। कोरोना से पहले सामान्य दिनों में 500से ज्यादा और विशेष दिन( शनिवार से सोमवार )1000भक्त इस पूजा के लिए आवेदन करते थे।

मंदिर में प्रवेश करते ही सभा मंडप में नंदी विराजमान हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिवनंदी की सवारी करते हैं।

कोरोना से पहले हर महीने 4 करोड़ रुपए का चढ़ावा आता था

श्री शैलम देवस्थानम के कॉल सेंटर में काम करने वालेएच. मल्लिकार्जून बताते हैं कि मंदिर में अभी100से ज्यादा पुजारी और2000से ज्यादा का स्टाफ हैं। अभी तो मंदिर में कोई चढ़ावा नहीं आ रहा है। लेकिन कोरोना से पहले हर महीने3से4करोड़ रुपए का चढ़ावा आता था।कोरोनाके कारण रोजाना 3 से 4 हजार लोगों को ही दर्शन कराए जा रहा है। पहलेयहां पर रोजाना50हजार से 1 लाख के बीच भक्त दर्शन के लिए आते थे।

श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर के प्रमुख देवता माता पार्वती (मलिका) और भगवान शिव (अर्जुन) हैं।

श्रीशैलम में भक्तों के लिए 200 कमरे का गणेशम भवन का भी निर्माण हो रहा है। अभी तक शैलम पूरी तरह से ग्रीन जोन में है। यहां पर एक भी कोरोनाका केस नहीं आया है। मंदिर में दर्शन का समय सुबह 6.30 से शाम 4.30 तक रखा गया है।



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Live Darshan being offered to the devotees through YouTube, earlier used to offer 4 crores rupees every month, now there is little


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