फोटो बिहार के समस्तीपुर की है। प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली बागमती नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी जारी है। जलस्तर में बढ़ोतरी होने से नए-नए निचले इलाकों के घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर रहा है। इसी बीच रविवार को मलिकौली गांव के वार्ड 1 निवासी राम जी साह अपने 2 माह के नवजात को गोद में लेकर पानी की तेजधार के बीच से तटबंध पर शरण लेने के लिए जा रहे थे।
12.80 लाख आबादी बाढ़ से घिरी, 1.36 लाख बचाए गए
नदियों में उफान की वजह से बाढ़ की चपेट में अब बिहार के 11 जिले आ गए हैं। 86 प्रखंडों की 625 पंचायतों की 12.80 लाख आबादी प्रभावित हुई है। सारण मुख्य तटबंध के टूटने से बाढ़ का पानी गोपालगंज, सारण और सीवान के नए इलाकों में फैल गया है। समस्तीपुर के मगरदहीघाट स्थित स्लुईस गेट से रविवार दोपहर रिसाव होने से शहर के निचले इलाकों में बूढी गंडक का पानी घुस गया है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने अबतक 1.36 लाख लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है।
बाढ़ में डूबे असम में डॉ. और नर्स घर-घर जाकर कर रहे इलाज
असम में बाढ़ की वजह से हालात बेहद खराब हैं। जोरहाट जिले के जेलेगीं टूप गांव में सैकड़ों परिवार करीब एक महीने से बाढ़ की चपेट में हैं। इनकी मदद के लिए छात्र सामने आए हैं, जो इन तक राशन पहुंचा रहे हैं। बाढ़ और कोरोना संक्रमण जैसे दोहरे संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए 1 हजार मेडिकल टीमें भी गठित की गई हैं। अपनी जान जोखिम में डालकर नर्स और आशाकर्मी ग्रामीण इलाकों में बोट से दौरा कर रही हैं। एएनएम नीलिमा माला कहती हैं,‘पानी में डर तो लगता है लेकिन जब लोगों को अपने परिवार के साथ बाढ़ में फंसे हुए देखते हैं तो उनके सामने हमारी परेशानी बहुत छोटी हो जाती है।
समस्तीपुर-दरभंगा रेलखंड पर बढ़ रहा है दबाव
समस्तीपुर-दरभंगा रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं हो पाया। हायाघाट स्टेशन के पास बागमती का पानी और बढ़ जाने से पुल के गाटर से पानी ऊपर चढ़ गया है। पानी का दबाव बढ़ने से रेलवे पुल पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
सड़क किनारे और डिवाइडर पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों की हालत दयनीय
फोटो बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की है। बिजली पंचायत के काकरघाटी गांव के तकरीबन 300 परिवार बाढ़ के चपेट में हैं। अपने उजड़े आशियाने को छोड़ बुजुर्ग, युवा महिलाएं व बच्चे ऊंचे स्थल एनएच 57 पर शरण ले चुके हैं। वहीं मौजूद सुनीता देवी कहती हैं कि उनका डेढ़ वर्ष का नाती बगैर दूध के ही है। न ही प्लास्टिक मिला है ओर न ही उनके किसी भी आवश्यक जरूरतों की पूर्ति तो दूर खोजबीन भी अबतक नहीं की गई है।
हेलीकॉप्टर से गिराया 200 पैकेट, उमड़े 400
समस्तीपुर जिले के सुंदरपुर वार्ड 5 व 6 में रविवार को हेलीकॉप्टर समान गिराने के क्रम में एक भैंस का बच्चा मर गया। जबकि आधा दर्जन कच्चा मकान हिल गया। राहत सामग्री गिरने पर गांव में सामान के लिए भगदड़ मच गई। बुद्धिजीवियों ने समझदारी दिखाते हुए सामान लेने आये लोगो को लाइन में खड़ा कर वितरण किया। वार्ड सदस्य ने बताया कि पैकेट में 2 किलो चूड़ा,1 किलो चना व 1 किलो चीनी के 200 पैकेट गिराया गया, जो सभी परिवारों के लिए पर्याप्त नहीं।
गुजरात सीमा पर चौकसी बढ़ी
फोटो सरक्रीक सीमा पर भारत की अंतिम सीमा चौकी सांवला पीर की है, जो चारों तरफ से दरिया के पानी से घिरी रहती है। चीन के साथ जब से तनाव बढ़ा है, तब से पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर भी चौकसी बढ़ा दी गई है। बीएसएफ के लिए सबसे कठिन हालात वाली सरक्रीक सीमा पर भी इन दिनों 24 घंटे पेट्रोलिंग चल रही है।
यहां के दलदली इलाके में पश्चिमी सीमा पर बीएसएफ की अंतिम चौकी सांवला पीर है। यहां न कोई वाहन चल सकता है और न ही बोट। घुटनों तक पैर दलदल में धंस जाने जैसी स्थिति में जवान पैदल पैट्रोलिंग करते हैं। इतना ही नहीं पैट्रोलिंग के दौरान इन्हें कोरोना से बचने के लिए लगातार सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करना होता है।
महेश्वर में अहिल्या घाट पर सावन के महीने में पहली बार खामोशी
सावन के महीने में बोल बम की गूंज से गुंजायमान होने वाला मध्यप्रदेश के खरगोन जिले का नर्मदा घाट सूना है। कोरोना काल में प्रशासन ने घाटों पर आवाजाही पूरी तरह से बंद करा दी है। 4 माह से पर्यटन स्थल सूने हैं। पर्यटन बोट घाटों पर बंधी हैं। प्रमुख शिवालयों में भी श्रद्धालुओं की आवाजाही नहीं है। सावन माह की शुरुआत में 5 कावड़ियों को ही कावड़ यात्रा निकालने के निर्देश जारी हुए। रविवार से 2 दिन का लॉकडाउन लगने से सख्ती के चलते नर्मदा घाट पर सन्नाटा पसरा रहा।
56 दिन तक घायल गिद्ध का नासिक, पुणे में चला इलाज
महाराष्ट्र के नासिक और पुणे में 56 दिन तक घायल गिद्ध का इलाज किया गया। ठीक होने के बाद शनिवार को उसे खुली हवा में छोड़ दिया गया। वन विभाग अधिकारियों ने बताया कि नासिक के वालदेवी डैम के पास उन्हें यह गिद्ध मिला था। उसके पंख जख्मी थे और उसके शरीर में पानी की भी कमी थी। इसके बाद पक्षी फाउंडेशन के लोग उसे ले गए और उसका इलाज किया। बाद में नासिक और पुणे के पशु अस्पताल में उसका इलाज चला। 56 दिन बाद जब वह ठीक हुआ तो उसे अंजनेरी की पहाड़ियों के पास छोड़ दिया गया।
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