Sunday, 13 September 2020

नागपुर मेट्रो में कोरोना के बावजूद 6 माह में 1.5 किमी ट्रैक, 4 स्टेशन बना दिए; इंदौर मेट्रो का एक साल में पिलर तक नहीं पड़ा

(दीपेश शर्मा).14 सितंबर को इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के शिलान्यास का एक साल पूरा हो जाएगा। इस बीच, काम के नाम पर शहरवासियों ने सिर्फ लोहे के पतरे लगे देखे। धीमे काम के पीछे अफसर हाईटेंशन लाइन और फ्लायओवर के अलाइनमेंट के साथ ही कोरोना को सबसे बड़ी वजह बता रहे हैं।

जबकि असल वजह यह है कि इंदौर में लॉकडाउन के बाद से प्रोजेक्ट का काम पूरी तरह बंद पड़ा है। भास्कर पड़ताल में पता चला कि भोपाल में इंदौर के बाद मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट का भूमिपूजन हुआ, लेकिन काम की गति शुरू से तेज रही।

24 घंटे काम करने की डालना पड़ेगी आदत

ब्रजेश दीक्षित| एमडी नागपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन

नागपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के एमडी ब्रजेश दीक्षित ने बताया मेट्रो ट्रेन चलाने के लिए 24 घंटे काम करने की आदत डालना पड़ेगी। कोरोना काल में सिर्फ अप्रैल के महीने में काम बंद रहा और मई से हमने एक तिहाई लेबर के साथ काम शुरू किया।

नागपुर का ट्रैफिक बहुत कंजस्टेड है फिर भी हमने 24 घंटे ट्रैफिक पुलिस की मदद से काम किया। तेजी से होता काम देख लोग भी सपोर्ट में आए और हम यह चमत्कार कर सके। हम जल्द ही पूरा 38 किमी का ट्रैक पूरा कर दूसरे फेज की तरफ बढ़ जाएंगे।

50 महीनों में 25 किमी ट्रैक तैयार
नागपुर मेट्रो रेल का भूमिपूजन 31 मई 2015 को हुआ और 21 अप्रैल 2018 को लोगों के लिए 6 किमी की जॉय राइड (फ्री राइड) शुरू कर दी गई। पहली कमर्शियल लाइन 9 मार्च 2019 को शुरू हुई। 50 महीने में 25 किमी का ट्रैक तैयार कर दिया।

चार हिस्सों में 38 किमी का ट्रैक बन रहा है। इसमें से एक स्टेशन चार मंजिला होगा और ट्रेन 25 मंजिला बिल्डिंग के बीच में से निकलेगी। यह देश का पहला इनोवेटिव स्टेशन होगा। कोरोना काल के छह माह में 1.5 किमी ट्रैक और 4 स्टेशन बनाए।

भोपाल में 90 पिलर तैयार, इंदौर में अभी ड्राइंग, डिजाइन पर ही नहीं हुआ काम
इंदौर मेट्रो के लिए पहला टेंडर आईएसबीटी से मुमताज बाग कॉलोनी तक हुआ है। इसमें कंपनी को 181 पिलर डालने हैं, जबकि सिर्फ एक पिलर के सरिए बंधे हैं। सुपर कॉरिडोर पर कंपनी के प्लांट पर 250 गर्डर तैयार रखी है लेकिन पिलर तैयार नहीं होने से गर्डर किसी काम की नहीं।

इंदौर vs भोपाल: सच यह कि दोनों जगह एक ही कंपनी, वहां डायरेक्टर की निगरानी, यहां कंसल्टेंट के भरोसे काम
इंदौर व भोपाल का प्रोजेक्ट एक ही कंपनी दिलीप बिल्डकॉन के पास है, पर काम की गति में काफी अंतर है। भोपाल मेट्रो के 90 पिलर खड़े हो गए और 10 सितंबर को पहला गर्डर भी लॉन्च कर दिया। वहीं, इंदौर में एक भी पिलर तैयार नहीं हुआ।

इंदौर प्रोजेक्ट का एमओयू 19 अगस्त 2019 को दिल्ली में, भूमिपूजन 14 सितंबर 2019 को कमलनाथ सरकार में हुआ। इंदौर मेट्रो के लिए 7500.8 करोड़ और भोपाल मेट्रो के लिए 6941.4 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं।

भास्कर ने दिलीप बिल्डकॉन के अधिकारियों से जाना तो पता चला भोपाल में म.प्र. मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एमपीएमआरसी) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, कोऑर्डिनेटर सहित अन्य अधिकारी लगातार मॉनिटरिंग करते हैं जबकि इंदौर का सारा काम सिर्फ कंसल्टेंट के भरोसे छोड़ रखा है। यहां एमपीएमआरसी का एक भी अधिकारी नहीं बैठता। गर्डर की ड्राइंग और डिजाइन तक फाइनल नहीं है। मार्च से इंदौर का काम पूरी तरह से बंद पड़ा है।

भोपाल में सिर्फ लॉक डाउन के सवा महीने मेट्रो का काम बंद रहा और नतीजा देखिए पांच दिन पहले वहां मेट्रो की गर्डर भी लांच कर दी गई। पिछले दिनों इंदौर निगमायुक्त व एडिशनल एमडी प्रतिभा पाल ने प्रोजेक्ट डायरेक्टर, कंसल्टेंट के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग की थी। इसमें बताया था कि कंसल्टेंट साउथ अफ्रीका में फंसे हैं इसलिए प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पा रहा।

परिस्थितियां अलग, हाईटेंशन लाइन और कोरोना से काम अटका- जितेंद्र दुबे, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एमपीएमआरसी

सवाल. इंदौर मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट क्यों बंद पड़ा है?

जवाब : कोरोना के कारण। काम जल्द ही शुरू कर देंगे।

सवाल : भोपाल में तो काम तेजी से चल रहा है?

जवाब : इंदौर में हाईटेंशन लाइन की दिक्कत है।

सवाल : 5.27 किमी के रूट में हाईटेंशन लाइन तो सिर्फ 1.5 किमी में है, बाकी में काम क्यों नहीं हुआ?

जवाब : फ्लायओवर के अलाइनमेंट की भी समस्या रही।

सवाल : वो बंगाली चौराहे पर है, वहां के तो टेंडर ही नहीं हुए?

जवाब : इंदौर और भोपाल की तुलना नहीं की जा सकती। जल्द ही काम शुरू कर देंगे।

सवाल : क्या लेटलतीफी से लागत नहीं बढ़ जाएगी?

जवाब : अभी तो प्रोजेक्ट की लागत वही है।

एक-एक दिन का हिसाब रखने की बात हुई थी, अब तेजी दिखाइए
मेट्रो शिलान्यास के दिन ही इंदौर के प्रति अपने दायित्व के तहत भास्कर ने मेट्रोमैन ए श्रीधरन का बयान पब्लिश किया था। उन्होंने बताया कि मेट्रो का काम रिवर्स क्लॉक एप्रोच से किया जाना चाहिए। यानी जो डेडलाइन तय हो उसका काउंटडाउन बना कर हर गुजरते दिन में कितना काम हुआ,उसका रिव्यू हो और समय से पहले प्रोजेक्ट पूरा हो।

कोरोना के कारण कुछ व्यवधान स्वीकार किया जा सकता है। लेकिन काम की शुरुआत ही न हो पाना अक्षम्य है। इंदौर की जनता मेट्रो से ट्रैफिक की समस्या का समाधान और जीवन सुगम हो जाने की उम्मीद करती है। कृपया इस प्रोजेक्ट को हमारे ऊपर बोझ न बनाएं। सरकार को यह बात समझ कर तत्काल कदम उठाने चाहिए।



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भोपाल में 90 पिलर तैयार, इंदौर में अभी ड्राइंग, डिजाइन पर ही नहीं हुआ काम।


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