ओट्स खासतौर पर उनके लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है, जो वजन घटाना चाहते हैं, हृदय रोगी हैं या डायबिटीज से जूझ रहे हैं। इसे सुबह के नाश्ते या रात के खाने में भी खाया जा सकता है। इसमें फायबर की मात्रा अधिक होने के कारण यह पेट के लिए कई तरह से फायदेमंद है।
हर साल 1 से 7 अगस्त तक नेशनल न्यूट्रीशन वीक मनाया जाता है। इस बार की थीम है ''ईट-राइट, बाइट-टू-बाइट"। इस मौके पर जयपुर की डायटीशियन इंदू टॉक बता रही हैं, सुपरफूड ओट्स कब, क्यों और कैसे खाएं?
ओट्स को कब और कितना लें?
ओट्स को हिंदी में जई कहते हैं। यह जौ की तरह दिखने वाला अनाज है। फायबर और कई जरूरी पोषक तत्व इसमें पाए जाते हैं। दूसरे अनाज की तुलना में इसमें गुड फैट और प्रोटीन अधिक पाया जाता है। इसमें विटामिन-बी, आयरन, मैग्नीज, फास्फोरस और जिंक भी है।
सामान्य लोग इसे सुबह-शाम नाश्ते में ले सकते हैं। अगर वजन बढ़ा हुआ है, डायबिटीज और हार्ट पेशेंट हैं तो इसे डिनर में भी शामिल कर सकते हैं। एक कटोरा ओट्स आधा कप दूध या दही के साथ ले सकते हैं। जिन्हें सीलियक रोग (गेहूं व अन्य अनाज से बने खाद्य पदार्थ से एलर्जी) हैं, वे ग्लूटेन फ्री ओट्स ले सकते हैं। ये मार्केट में उपलब्ध हैं।
किन लोगों के लिए ओट्स सबसे ज्यादा फायदेमंद ?
ये कोई भी खा सकता है। खासकर जो वजन कम करना चाहते हैं उन्हें डाइट में शामिल करना चाहिए क्योंकि इसमें कैलोरी कम होती है, फायबर अधिक होता है और भूख कंट्रोल में रहती है। यह शरीर में नमी बनाए रखता है। इसमें मौजूद फायबर और एंटीऑक्सीडेंट्स कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकते हैं जिससे हृदय और पेट के रोगों से राहत मिलती है।
फायबर स्टार्च को पचाकर ब्लड शुगर सामान्य रखता है, इसलिए डायबिटीज के रोगियों फायदा होता है। इसमें लिग्नेंस और एंटीरोलैक्टोन जैसे फायटोकेमिकल पाए जाते हैं जो ब्रेस्ट कैंसर से बचाते हैं।
ओट्स के पांच फायदे
- ओट्स या ओटमील का सेवन टोटल कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को काफी कम कर देता है। इससे यह कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ (ब्लॉकेज) जैसी दिल की बीमारी से बचाता है।
- ओट्स में मौजूद फाइबर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को सही ढंग से कार्य करने में मदद करते हैं और आंतों में गुड बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाकर पाचन सुधारते हैं।
- ओट्स में कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जिनमें ‘एवेन्थ्रानमाइड्स' के पॉलीफेनोल समूह होते हैं। ये ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं।
- इसमें बीटा ग्लूकन होता है जो आंत में मौजूद हेल्दी बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करता है और पेट को भरा हुआ महसूस कराता है। इससे भूख कम लगती है और वजन नियंत्रण में रहता है।
- इसमें मौजूद फाइबर इंसुलिन की संवेदनशीलता को दुरुस्त रखता है। इससे शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
यह कैसे तैयार होता है?
ओट्स यानी जई, जौ की प्रजाति का पौधा है। यह शरद ऋतु की फसल है। कटाई के बाद जई को कूटते हैं और भूसा व दाने अलग किए जाते हैं। इसके दानों को सेंककर तोड़ते हैं जिसे स्टील कट ओट्स कहते है। इसे दलिए के रूप में खाते हैं। इसके दानों को भाप में पकाकर बेलन से चपटा भी किया जाता है जिसे रोल्ड ओट्स कहते हैं। जई के आटे से बने इन दिनों बिस्किट काफी पसंद किए जा रहे हैं।
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