Monday, 26 October 2020

2+2 बातचीत : आज चीन की घेराबंदी का फॉर्मूला लॉक होगा

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले वहां के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर सोमवार को दिल्ली पहुंचे। वे मंगलवार को तीसरी 2+2 मंत्री बैठक में हिस्सा लेंगे, जिसमें भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह शामिल होंगे। इससे पहले सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ ने एस्पर से हैदराबाद हाउस में मुलाकात की।

मुलाकात के बाद राजनाथ ने संतुष्टि जताते हुए कहा कि यह सफल रही। उन्होंने कहा कि यह बैठक दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को व्यापक स्तर पर ले जाने के उद्देश्य से हुई है। 2+2 वार्ता पहले से तय थी। लेकिन, भारत-चीन और अमेरिका-चीन की बीच पैदा हुई ताजा कड़वाहट को देखते हुए इसे चीन की घेराबंदी के तौर पर देखा जा रहा है। सोमवार को राजनाथ सिंह और एस्पर की बैठक के बाद एस. जयशंकर और पोम्पियो के बीच बैठक हुई। जयशंकर ने कहा कि बैठक में दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों की मतबूती पर बात हुई।

  • 2+2 वार्ता क्या? यह दो देशों के रक्षा और विदेश मंत्रालयों में होती है। पहले भी 2 बैठकें हो चुकी हैं।
  • एजेंडा क्या? प्रशांत क्षेत्र में चीन की दखलंदाजी और लद्दाख में उसका आक्रामक व्यवहार वार्ता में शामिल होंगे। इसे देखते हुए बेका समझौता हो सकता है।
  • बेका क्या?: बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बेका) से भारत मिसाइल हमले के लिए विशेष अमेरिकी डेटा का इस्तेमाल कर सकेगा। इसमें किसी भी क्षेत्र की सटीक भौगोलिक लोकेशन होती है।

बेका एग्रीमेंट के लिए यही सबसे अनुकूल समय, चीन पर साफ बात करनी होगी

इस बार बेका पर आगे बढ़ने की संभावना है। चीन के साथ हमारे रिश्ते जिस मोड़ पर आ चुके हैं, उसमें बेका समझौता काफी अहम हो जाता है। इसीलिए 2+2 वार्ता के केंद्र में बेका है। समझौता हुआ तो दोनों देश जियोस्पेशियल क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे। करगिल युद्ध के समय अमेरिका ने यह कहकर हमारे जीपीएस बंद कर दिए थे कि यह करार शांतिकाल के लिए था। हालांकि, उसके बाद रक्षा क्षेत्र में हम दो समझौते लेमोआ और कोमकासा कर चुके हैं।

अब हमारे मंत्रियों को यह ध्यान रखना होगा कि समझौता युद्धकाल के लिए भी लागू हो। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हैं, इसलिए केवल सैद्धांतिक सहमति बनने से मामला लटक सकता है। जॉर्ज बुश के राष्ट्रपति रहते हुए भी एक बार ऐसी स्थिति बनी थी। लेकिन, तब विपक्षी पार्टियों ने कहा था कि हम चीन के साथ चलना चाहते हैं। आज बदले हालात में हमें अमेरिका को साफ कहना होगा कि ईरान के मसले पर चीन को बाहर रखना जरूरी है, वर्ना भारत बुरी तरह से घिर जाएगा। क्योंकि, चीन पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नेपाल में जड़े जमाने की पुरजोर कोशिश कर रहा है।

भास्कर एक्सपर्ट, शशांक, पूर्व विदेश सचिव



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
राजनाथ ने अमेरिकी मंत्री मार्क एस्पर की अगवानी की।


from Dainik Bhaskar /national/news/2-2-conversations-today-the-siege-formula-of-china-will-be-locked-127853632.html
via IFTTT

0 comments:

Post a Comment