Saturday, 26 December 2020

सबसे ऊंचे रिहायशी टॉवर हों या सी-प्लेन वाले वाटर एयरपोर्ट्स, भारत की तस्वीर बदल देंगे ये 10 मेगा प्रोजेक्ट

बीता साल 2020 भले इतिहास के पन्नों में कोरोना के नाम पर दर्ज हो, लेकिन राम भक्तों के जेहन में यह साल राम मंदिर की नींव पड़ने के लिए याद बनकर रहेगा। जब भारतीय संसद भवन का इतिहास पढ़ा जाएगा तो 2020 को याद करना पड़ेगा।

इसी तरह आने वाले साल, 2021 को वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम पूरा होने के लिए, मुंबई में देश की सबसे ऊंची रिहायशी इमारतों काम पूरा होने और उसमें लोगों के रहने के लिए याद किया जाएगा। इतना ही नहीं, 2021 मुंबई में शिवाजी स्मारक के खुलने का गवाह भी बन सकता है।

2020 में देश के पहले सी प्लेन ने भी उड़ान भरी। ऐसी उड़ानों के लिए देशभर में 10 वाटर एयरोड्रोम यानी नदी, झील या डैम पर बनने वाले हवाईअड्डे बनाए जाने हैं। अंडमान निकोबार में तीन ऐसे जलीय हवाई अड्डों का काम शुरू हो चुका है।

एक तरफ 2020 ऐसी परियोजनाओं की शुरुआत के लिए तो 2021 उनमें से कई के पूरा होने के लिए जाना जाएगा। आइए ऐसे 9 खास प्रोजेक्ट के बारे में जानते हैं...

तेजी से बनेंगे वाटर एयरपोर्ट्स, सी-प्लेन के पहले यात्री थे पीएम मोदी

अक्टूबर 2020 में भारत में सी-प्लेन सेवा शुरू हो गई है। इसके पहले यात्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने। वे गुजरात के अहमदाबाद से केवड़िया स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी गए। 200 किलोमीटर की ये यात्रा सी-प्लेन से 45 मिनट में पूरी हो गई। रोड से यही यात्रा 4 से 5 घंटे में पूरी होती है। पहली सफल सी-प्लेन सेवा के बाद अब भारत में वाटर एयरपोर्ट्स बनाने के प्रोजेक्ट में तेजी आ गई है।

  • भारत में कुल 10 वाटर एयरपोर्ट्स बनाने के प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। सरदार सरोवर डैम और साबरमती रिवर फ्रंट के काम पूरे हो चुके हैं।
  • ओड़िशा के चिल्का लेक, अंडमान निकोबार के लॉन्ग आइलैंड, स्वराज आइलैंड और शहीद आइलैंड पर भी वाटर एयरपोर्ट्स बनाने का काम जारी है।
  • अंडमान निकोबार के तीन वाटर एयरपोर्ट्स बनाने की कुल लागत 50 करोड़ है। इनका निर्माण एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया कर रही है।

2350 करोड़ में बनकर तैयार हो गए हैं भारत के सबसे ऊंचे रिहायशी टावर


2021 की पहली तिमाही में भारत की दो सबसे ऊंची रिहायशी इमारतों में ग्राहकों को पजेशन मिलना शुरू हो जाएगा। मुंबई के लोवर परेल में स्थित वर्ल्ड वन टावर और वर्ल्ड वन व्यू टावर 76-76 फ्लोर के हैं। इनकी ऊंचाई 935 फीट है। मुंबई में ही 78 माले की इमारत द पार्क भी है। लेकिन, इसकी ऊंचाई 879 फीट है। उधर, 2020 में अमेरिका में दुनिया की सबसे ऊंची रिहायशी इमारत तैयार हो गई।

  • वर्ल्ड वन पहले 117 फ्लोर और 1450 फीट ऊंचा बनने वाला था, लेकिन एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से अनुमति न मिलने पर 76 मंजिला बना।
  • वर्ल्ड वन टावर को 17.5 एकड़ जमीन पर बनाया गया है। इसकी लागत 2350 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जाती है। इसे लोधा ग्रुप ने बनाया है।
  • दुनिया की सबसे ऊंची रिहायशी इमारत न्यूयॉर्क का सेंट्रल पार्क टावर है। यह 131 मंजिला और 1549 फीट ऊंचा है।

चार धाम प्रोजेक्ट पर टिकी हैं लाखों यात्रियों की नजर


उत्तराखंड का चार धाम प्रोजेक्ट 2021 में अंतिम चरण में पहुंच सकता है। प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को आपस में जोड़ा जा रहा है। इसके लिए 889 किलोमीटर का हाईवे बन रहा है। नई सड़कें, सुरंगें और नए पुल बनाने के साथ पुरानी सड़कों को चौड़ा करने का काम 2020 में पूरा होना था। लेकिन पर्यावरण नियमों के उल्लंघन की शिकायतों के बाद काम रुक गया।

  • ऋषिकेश से धारासु होते हुए गंगोत्री, यमुनोत्री, रुद्रप्रयाग होते हुए केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ने वाली इस हाईवे परियोजना की लागत 12,000 करोड़ रुपए है।
  • 2016 में पीएम मोदी ने इसकी आधारशिला रखते हुए इसे उत्तराखंड त्रासदी में जान गंवाने वालों के लिए श्रद्धांजलि बताया था।
  • फिलहाल पर्यावरण उल्लंघन की शिकायतों को लेकर काम रुका हुआ है। परिवहन मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय हल निकाल रहे हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर से गंगा घाट तक सीधा रास्ता


वाराणसी में 2009 से चल रहे काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का काम 2021 में पूरा हो सकता है। इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर से ल‌लिता, जलासेन और मणिकर्ण‌िका घाट तक बाबा धाम बसाया जा रहा है। इसमें करीब 50,261 वर्ग मीटर में 24 नई बिल्डिंग बनाने और 63 छोटे-छोटे मंदिरों की मरम्मत का काम चल रहा है।

  • 50,261 वर्ग मीटर वाले कॉरिडोर का 70% हिस्सा खाली रहेगा। केवल 30% में कल्चरल सेंटर, वैदिक केंद्र, जप-तप भवन आदि बनेंगे।
  • कॉरिडोर क्षेत्र में कोई इमारत काशी विश्वनाथ मंदिर से ऊंची नहीं होगी। काशी विश्वनाथ के अलावा इस क्षेत्र में 63 अन्य मंदिर रहेंगे।
  • काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने की लागत 345.27 करोड़ रुपये तक पहुंचेगी। इसके अगस्त 2021 तक पूरा हो जाने के आसार हैं।

नई दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन पर काम होगा शुरू


2021 में नई दिल्ली से वाराणसी के बीच हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का काम शुरू हो जाएगा। सर्वे शुरू हुआ है। जापान के पीएम शिंजो आबे के 2015 के वाराणसी दौरे के ठीक पहले बुलेट ट्रेन पर समझौता हुआ था।

  • नई दिल्ली से वाराणसी की दूरी करीब 865 किलोमीटर है। इस रूट पर 300 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी बुलेट ट्रेन।
  • नई दिल्ली से वाराणसी का सफर ढाई घंटे में होगा पूरा। बीच में मथुरा, आगरा, कानपुर और प्रयागराज पड़ेंगे।
  • नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी NHRCL भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण संरक्षण पर काम कर रहा है।

जोर पकड़ लेगा मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट


अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर काम कर रही कंपनी L&T को 25 हजार करोड़ के काम करने का ऑर्डर मिल गया है। 2021 में गुजरात के वापी से वडोदरा के बीच हाईस्पीड रेल कॉरिडोर बनाना शुरू हो जाएगा।

  • इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 237 किलोमीटर के वापी-वडोदरा कॉरिडोर से होगी। पूरे प्रोजेक्ट में कुल 508 किलोमीटर का कॉरिडोर बनना है।
  • प्रोजेक्ट पर कुल 1.08 लाख करोड़ की लागत आएगी। फिलहाल केंद्र सरकार ने 25 हजार करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया है।
  • प्रोजेक्ट के रूट में आने वाले पेड़ों को काटने के बजाय उन्हें शिफ्ट किया जाएगा।

आखिरी स्टेज में पहुंच जाएगा मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का काम


मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ने के लिए 22 किलोमीटर लंबा पुल बनाने का काम 2021 में आखिरी चरण में पहुंच जाएगा। पुल का 16.5 किलोमीटर हिस्सा समुद्र में और 5.5 किलोमीटर जमीन पर होगा। इसे मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक नाम दिया गया है। इस पुल के लिए कुल 2200 पिलर खड़े किए जा रहे हैं। यह शिवाजी मेमोरियल प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है।

  • यह भारत का समुद्र में बनने वाला सबसे लंबा पुल होगा। इसको बनाने में 10 करोड़ रुपये की रिवर सर्कुलर मशीन लगाई गई थी।
  • अभी मुंबई से नवी मुंबई पहुंचने में एक घंटे तक का समय लगता है। मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक के बाद यह दूरी 20 से 25 मिनट में पूरी होगी।
  • मुंबई की भारी ट्रैफिक समस्या को कम करने में यह लिंक बड़ी भूमिका निभाएगा। 6 लेन वाले इस पुल पर 100 किलोमीटर प्रति घंटा से गाड़ियां दौड़ सकती हैं।

शिवाजी स्मारक पर आ सकता है फैसला, आखिरी चरण में है काम


अरब सागर में करीब 15 एकड़ के टापू पर लगभग 696 फीट ऊंचा शिवाजी स्मारक बनकर तैयार होने वाला है। मुंबई के गिरगांव चौपाटी से सटे समुद्र में करीब डेढ़ किलोमीटर अंदर टापू पर बन रहे स्मारक को देखने के लिए एक समय में 10 हजार लोग तक आ सकते हैं। हालांकि मॉनसून के वक्त अरब सागर से होकर स्मारक तक पहुंचने के तरीके पर विवाद होने के बाद महाराष्‍ट्र सरकार ने काम रोका हुआ है।

  • शिवाजी स्मारक के निर्माण में 1900 करोड़ की लागत लगी है।
  • मॉनसून के दौरान टापू की ओर जा रही एक मोटरबोट पलटने से एक शख्स की मौत हो गई। इस पर विवाद के बाद से काम रुक गया है। अब वहां के लिए टनल बनाने पर विचार हो रहा है।
  • इस स्मारक के निर्माण के लिए महाराष्ट्र की सभी नदियों से पानी लाया गया था। साथ ही शिवाजी के किले से मिट्टी भी मंगाई गई थी।

नए संसद भवन के निर्माण पर टिकी रहेंगी नजरें


10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी। सोशल मीडिया पर पहले ही इसके ‌निर्माण पर बहस जारी है। साथ ही देश के 69 पूर्व नौकरशाहों ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर इस प्रोजेक्ट को लेकर सवाल खड़े किए थे। सुप्रीम कोर्ट में प्रोजेक्ट को लेकर दायर याचिकाओं पर अभी सुनवाई होनी बाकी है। इस दौरान लगातार पेड़ों की शिफ्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद केंद्र ने सुनवाई पूरी न होने तक किसी भी तरह का निर्माण या शिफ्टिंग न करने का आश्वासन दिया है।

  • नए संसद भवन का निर्माण सेंट्रल विस्टा री-डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है। इसमें नए संसद भवन के अलावा 3 किलोमीटर में केंद्रीय मंत्रालयों के लिए सरकारी बिल्डिंग, उपराष्ट्रपति के लिए नए ऐनक्लेव, पीएमओ और पीएम आवास में कई निर्माण होंगे।
  • इस प्रोजेक्ट के तहत संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति का घर, नेशनल म्यूजियम, नेशनल आर्काइव्ज, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स, उद्योग भवन, बीकानेर हाउस, हैदराबाद हाउस, निर्माण भवन और जवाहर भवन के पूरे इलाके को रेनोवेट किया जाएगा।
  • इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय लोक निर्माण विभाग यानी CPWD करीब 13,450 करोड़ में पूरा करेगा। आजादी के 75 साल पूरे होने पर नए भवन में संसदीय सत्र चलने की उम्मीद है।

राम मंदिर में नहीं होगा कोई जोड़, लगेंगी 10 हजार कॉपर प्लेट


अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी जा चुकी है। काम की शुरुआत 1200 पिलर गाड़ने से होनी थी। लेकिन जमीन की जांच के लिए गाड़े गए पिलर धंसने के बाद काम रोक दिया गया। अब आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी चेन्नई, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की के वर्तमान और रिटायर्ड वैज्ञानिक और प्रोफेसर, टाटा और लार्सन एंड टूब्रो के सबसे तेज-तर्रार लोगों की टीम नई तकनीक पर काम कर रही है। जनवरी 2021 में मंदिर की नींव खोदी जानी है।

  • राममं‌दिर बरसों-बरस बना रहे इसके लिए विशेषज्ञों ने मंदिर निर्माण में लोहे या सरियों का इस्‍तेमाल न करने की सलाह दी है। इसलिए देशभर के लोगों से कॉपर की प्लेट और रॉड दान करने की अपील की गई थी।
  • मंदिर निर्माण में 10 हजार कॉपर की प्लेट्स लगाई जाएंगी। यह 18 इंच लंबी, 30 एमएम चौड़ी और 3 एमएम मोटी होंगी। दान देने वाले इन पर अपना नाम लिखकर भेज सकते हैं।
  • लोगों की मांग थी कि ऐसा मंदिर बने जिसका भवन कम से कम 1000 वर्ष टिका रहे, लेकिन मंदिर निर्माण में लगी लार्सन एंड टूब्रो और टाटा कंसल्टेंसी ने हाथ खड़े कर दिए। अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि 300-400 साल की गारंटी दें तब भी ठीक है।


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