Wednesday, 20 May 2020

'वर्क फ्रॉम होम ने विश्वास जगाया पर आमने-सामने का संवाद, हल्की सी थपकी आपको वो फायदा देती है, जो हजारों शब्द नहीं दे पाते'

भविष्य में वर्क फ्रॉम होम को लेकर कई बदलाव देखने को मिलेंगे। देश में इसकी तस्वीर कैसी होगी और कंपनियों पर किस तरह के प्रभाव पड़ेंगे। ऐसे ही कुछ मामलों पर अपनी बात रख रहे हैं जानेमाने उद्योगपति हर्ष गोयनका।

'19वीं शताब्दी तक काम अक्सर घर से या घर के आसपास से किया जाता था। ऑफिस का आइडिया 20वीं शताब्दी से शुरू हुआ और जल्द ही दिनचर्या का हिस्सा बन गया। रोज सुबह उठना, घर से ऑफिस जाना और सुबह 9 से शाम 5 बजे के बीच सहकर्मियों के साथ मिलकर काम करना, यही काम की परिभाषा बन गई।'

'सूचना क्रांति ने वक्त की पाबंदी को तोड़ा'

'पिछले कुछ सालों में टेलीकम्युनिकेशन की वजह से थोड़ा बदलाव आना शुरू हुआ, क्योंकि वैश्विक स्तर पर आधुनिक डिजिटल नेटवर्क स्थापित हो चुके थे। इसकी वजह से रियल एस्टेट के दाम भी बढ़ने लगे। हमारी कंपनी जैसी कई संस्थाओं ने समय की पाबंदी को तोड़ना शुरू किया और इस तरह घर से काम करने की प्रथा चल निकली।'

'घर आरामदायक ऑफिस बन गया'

'पिछले दो महीने से घर से ही काम हो रहा है, जिसकी वजह से घर और काम, दोनों की परिभाषा बदल गई है। अचानक घर, सबसे करीब और सबसे आरामदायक कार्यालय बन गया। जो लोग इस तौर-तरीके से अनभिज्ञ थे, उनके लिए ये नई व्यवस्था स्वागत योग्य अचंभा साबित हुई।'

'हमारी कंपनी हम पर इतना विश्वास करती है कि हमें सुपरवाइज करने की जरूरत नहीं समझती, ये मानसिक स्वतंत्रता का भी अहसास कराता है और आपसी विश्वास को बढ़ाता है। जब लोग घर से काम करते हैं और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए एक-दूसरे से संवाद करते हैं तो अपनेपन का भाव बढ़ने लगता है, जिससे पारदर्शिता भी बढ़ जाती है।'

'घर और ऑफिस आने-जाने का समय बच रहा'

'ऐसे में बातचीत के दौरान जब अचानक से बच्चे टेबल के नीचे से निकल कर सामने आ जाते हैं या आपके पालतू जानवर उछलकर आपकी गोद में आ जाते हैं, तो ऐसे पल वास्तव में बेहद मजाकिया हो जाते हैं। घर और ऑफिस के बीच आने-जाने का समय बचने से कई ऐसे कामों के लिए समय मिलने लगा, जो पहले प्राथमिकता लिस्ट में नहीं थे।'

'अब नए काम की नई चुनौतियां सुलझानी होंगी'
'आपसी मत-भिन्नता को दूर करने के लिए आमने-सामने बैठकर किया गया संवाद बेहद कारगर होता है। एक स्पर्श, कंधे पर दी गई हल्की-सी थपकी वो फायदा दे जाती है, जो हजारों शब्द नहीं दे पाते।कुछ प्रशासनिक समस्याएं भी हैं, जैसे-साइबर सिक्योरिटी एक चुनौती है। हैकिंग की समस्या पहले ही बढ़-चढ़कर परेशानियां खड़ी करती रही है और कुछ वीडियो कॉलिंग ऐप्स भी इनसे अछूते नहीं रहे। जैसे-जैसे कंपनियां काम करने के नए तरीके अपनाएंगी वो आने वाले दिनों-महीनों में इन समस्याओं को सुलझाने पर खासा ध्यान देंगी।'



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उद्योगपति हर्ष गोयनका ने बताया कि हमारी कंपनी जैसी कई संस्थाओं ने समय की पाबंदी को तोड़ना शुरू किया और इस तरह घर से काम करने की प्रथा चल निकली।


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