लद्दाख में एलएसी पर फिर एक बार भारत-चीन की सेना आमने-सामने हैं। चीन को सबक सिखाने के लिए शिक्षाविद् और इनोवेटर्स सोनम वांगचुक ने मेड इन चाइना सामान का बहिष्कार कर उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर करने लिए मुहिम शुरू की है।
उन्होंने कहा कि चीनी सामान का इतने बड़े पैमाने पर बायकॉट किया जाए कि उसकी अर्थव्यवस्था टूट जाए और वहां की जनता गुस्से में तख्ता पलट कर दे। ये अभियान भारत के लिए भी वरदान भी साबित होगा। सोनम वांगचुक ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में अपनी इस मुहिम के कई आयामों के बारे में बताया।
अभी हम मैन्युफैक्चरिंग, हार्डवेयर, दवाओं के कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर
सोनम वांगचुक ने कहा,'अभी हम मैन्युफैक्चरिंग, हार्डवेयर, दवाओं के कच्चे माल, मेडिकल इंस्ट्रूमेंट, चप्पल-जूते जैसी कई चीजों के लिए चीन पर निर्भर हैं। क्योंकि, इनमें से ज्यादातर सामानों का उत्पादन हमारे देश में कम होता है। होता भी है, तो थोड़ा महंगा होता है।
लेकिन, देश की जनता को यह समझना होगा कि चीन से खरीदा माल चीनी सरकार की जेब में जाएगा, जिससे वे बंदूकें खरीदकर हमारे खिलाफ ही इस्तेमाल करेंगे। अगर हम हमारे देश का थोड़ा महंगा सामान भी खरीदते हैं, वो हमारे मजदूर-किसानों के लिए काम आएगा, हमारे देश के पैसे का इस्तेमाल चीनी सरकार को हमारे खिलाफ नहीं करने देना है।'
योजनाबद्ध तरीके से करना होगा बॉयकॉट: वांगचुक
वांगचुक नेकहा,'चीन के सामान का बॉयकॉट हम तुरंत नहीं कर सकते हैं। इसे योजनाबद्ध तरीके से करना होगा। हार्डवेयर की चीजों के बॉयकॉट को एक साल तक हटाएं, इस बीच हमारी देश की कंपनियां अन्य देशों से सोर्स करने के तरीके खोजें। कच्चे सामान पर निर्भर होने वाली कंपनियां अन्य तरीके से सोर्सिंग शुरू करें।
चीनी सॉफ्टवेयर एक हफ्ते और चीनी हार्डवेयर एक साल में बॉयकॉट कर देना चाहिए। हमें इतना दृढ़ निश्चय होना चाहिए कि चीन में बना कोई भी सामान हम लेंगे ही नहीं। इसे ऐसे समझें- जैन धर्म के लोग मीट, प्याज जैसी चीजें नहीं खाते हैं। वे प्रतिबद्ध हैं कि चाहे जो जाए, इसका सेवन नहीं करेंगे।
नतीजा यह रहा कि इस परंपरा का असर बाजार पर भी पड़ा। ऐसे भोजनालय, रेस्त्रां शुरू हो गए, जो जैन खाना देने लगे। उनकी आदत और परंपरा से संबंधित नया बाजार खड़ा हो गया। जिस तरह जैनियों के लिए जैन फूड तैयार होता है, वैसे ही चीन पर निर्भरता खत्म करने के लिए गैर-चाइनीज बाजार खड़ा करना होगा।'
मुहिम जब जनता की तरफ से शुरू होगी तभी सफल होगी: वांगचुक
वांगचुक नेकहा, ' इससे दूसरे अन्य देशों से विकल्प खुद ही आएंगे। उन्हें दिखेगा कि चीनी सामान के बॉयकाॅट से देश में एक बहुत बड़ा वैक्यूम है, जिसका फायदा वो खुद उठाना चाहेंगी। बांग्लादेशी, वियतनाम जैसे अन्य देशों की कंपनियां आएंगी और चीन में बने उत्पादों के बॉयकॉट से खाली हुई जगह पर इन्हें मौका मिल पाएगा।
ये मुहिम जब जनता की तरफ से शुरू होगी तभी सफल होगी, हमें सरकार पर हर चीज नहीं छोड़नी चाहिए। केन्द्र सरकार ने इसकी शुरुआत कर दी है। चीनी सामान का बॉयकॉट करने के मामले में कमी सरकार की नहीं, बल्कि हम नागरिकों की है। हम अपनी सहूलियत के लिए मेड इन चाइना का सामान खरीदते हैं।
बड़ी तस्वीर नहीं देख पाते हैं। अगर लोगों की सोच बदलेगी तो सरकार को अपनी नीतियाें में खुद ब खुद परिवर्तन करना पड़ जाएगा। अगर सरकार अपनी ओर से चीन के सामान पर पाबंदी जैसा कोई सख्त कदम उठाती है, तो हमारे ही लोग सरकार पर तानाशाह होने का आरोप लगाएंगे। इसलिए मुहिम की शुरुआत लोगों की ओर से होनी चाहिए।'
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