काबुल.आतंकवाद से पीड़ितअफगानिस्तान में कोरोनावायरस के कारण हालात और भी खराब हो रहे हैं। यहां अब तक संक्रमण के 1092 मामले सामने आए हैं। जबकि 36 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि एक्सपर्ट्स मानते हैं किसंक्रमण के मामले जारी किए गए आंकड़ों से कई गुनाज्यादा हैं। इसके अलावा टेस्टिंग के मामले में भी देश काफी पिछड़ा हुआ है। 3 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले अफगानिस्तान में केवल 6612 टेस्ट ही हुए हैं।
देश में संक्रमण का पहला मामला 24 फरवरी को हेरात प्रांत में सामने आया था, जब ईरान से डिपोर्ट किया गया एक शख्स यहां पहुंचा था। इसके बाद लगातार तेहरान से अफगानियों के आने के कारण हेरात अफगानिस्तान का हॉटस्पॉट बन गया। अफगान स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता वहीदुल्लाह मयार ने बताया कियहां संक्रमण का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है, क्योंकि अभी हम महामारी के चरम पर नहीं पहुंचे हैं। इसलिए आने वाले दो-तीन हफ्ते हमारे लिए काफी नाजुक साबित होने वाले हैं।
टेस्टिंग के मामले में कमजोर अफगानिस्तान
मयार के मुताबिकहमारे यहां टेस्टिंग की कमी है। इस मामले में काबुल लगातार प्रयास कर रहा है। यहां सोमवार को 5 हजार टेस्टिंग किट पहुंची हैं। साथ ही 3 हजार और किट्स इस सप्ताह के अंत तक आ जाएंगी। इसके अलावा अफगान सरकार एक लाख और टेस्टिंग किट खरीदने की कोशिश कर रही है। हालांकि दुनिया में भारी मांग के चलते यह साफ नहीं है कि डील सफल हो पाएगी।
मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसारटेस्टिंग संक्रमण का पता लगाने और मरीजों को आइसोलेट करने के लिए जरुरी है। इससे वायरस रोकने में मदद मिलेगी। नॉर्थ वेस्ट लंदन अर्जेंट ट्रीटमेंट सेंटर्स के क्लीनिकल डायरेक्टर ऑफ नेटवर्क खेस्रो सांगरवाल के मुताबिक अफगानिस्तान में टेस्टिंग की अनदेखी हुई है और इस वजह से आने वाले हफ्तों और महीनों में मौजुदा स्थितिदुखद मोड़ लेगी।
टेस्टिंग के अलावा देश में वेंटिलेटर्स और स्किल्ड स्टाप की भी भारी कमी है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, देश में कुल 300 वेंटिलेटर्स हैं, साथ ही 300 और खरीदने की तैयारी की जा रही है। सांगरवाल ने बताया कियह केवल मशीन पाने के बारे में नहीं है, आपको इन्हें चलाने के लिए प्रोफेशनल्स भी चाहिए।
इन वजहों से बिगड़ेंगे हालात
- बेअसर लॉकडाउन - अफगान के काबुल में मार्च के अंत में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई थी। वहीं, कुछ समय बाद दूसरे प्रांतों में भी बंदी लागू हो गई थी। हालांकि इसके बाद भी लोग काम की तलाश में और सामान खरीदने के लिए घर से बाहर जाते रहे। इसके अलावा दूसरे प्रांतों में लॉकडाउन का कोई खास असर नहीं दिखा। उदाहरण के तौर पर पश्चिमी कंधार में स्थानीय अधिकारियों ने दिन के बजाए रात में दुकानें खोलने की अनुमति दे दी।लॉकडाउन के कारण परेशान हो रहे दैनिक वेतन भोगियों के लिए सरकार प्रोग्राम चला रही है। इसके तहत जरूरतमंदों को खाना और दूसरी जरूरी चीजें पहुंचाई जाएंगी। हालांकि अब तक यह भी साफ नहीं है किकितने परिवारों को मदद मिल चुकी है।
- स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी - आम लोगों में वायरस को लेकर जागरुकता की कमी के कारण हालात और बिगड़ गए। काबुल के रहने वाले अब्दुल्लाह ने बताया किमुझे वायरस के लक्षण थे, लेकिन मैं कभी भी अस्पताल नहीं गया, क्योंकि जब वो लोग कुछ कर ही नहीं सकते तो डॉक्टर के पास जाने का क्या फायदा। हॉस्पिटल पहुंच रहे लोगों को अपने रिजल्ट अगले कई दिनों तक नहीं मिल रहे हैं।अब्दुल्लाह का टेस्ट नहीं हो सका और बाद में पहले से ही बीमार उसकी पत्नी में भी यही लक्षण दिखने लगे। यहां कई इलाकों में टेस्टिंग की काफी कमी थी। इसलिए अधिकारियों को सैंपल्स को काबुल भेजना पड़ रहा था। जिसकी वजह से रिजल्ट में काफी लंबा वक्त लग रहा था।
- कई संकटों से एकसाथ जूझ रहा देश-कोरोनावायरस के कारण देश में चल रही हिंसा में कोई कमी नहीं आई। सोमवार को अधिकारियों ने बताया कितालिबान ने उत्तरी तखार प्रांत में रात में हमले कर कम से कम 19 सरकार समर्थक बलों को मार दिया है। वही, वॉशिंगटन में शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भी तालिबान दूसरे प्रांतों में अफगान सुरक्षा बलों पर हमले कर रहा है।हालांकि तलिबान ने हमले के आरोपों का खंडन किया है। इसके अलावा आतंकवादी समूह ने वायरस फैलने की शुरुआत में यह दावा किया था कि समूह कोविड 19 टेस्ट करने में सक्षम है। लेकिन सरकार ने उनके दावे पर भरोसा नहीं किया।
- राजनीतिक संकट भी जारी-हिंसा के अलावा अफगानिस्तान में राजनीतिक संकट भी चल रहा है। 2019 के चुनाव में राष्ट्रपति अशरफ गनी के प्रतिद्वंदी रहे अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह परिणामों पर संघर्ष जारी रखना चाहते हैं। दोनों ने पिछले महीने एक साथ शपथ ली। संगरवाल के मुताबिकअगर अफगान इस महामारी को रोकने या कम से कम नुकसान चाहते हैं तो तमाम विवादों के बाद भी एक साथ काम करना होगा। हालांकि यह संभव नहीं है कितालिबान और सरकार देश में टेस्टिंग में एकसाथ सहयोग करें। क्योंकि दोनों संकट के बाद भी एक-दूसरे पर निशाना साधते रहते हैं।
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