Tuesday, 19 May 2020

हालात बिगड़े तो कैसे संभालेंगे, क्योंकि हमारे यहां 50 हजार से कम वेंटिलेटर, 1 लाख से भी कम आईसीयू बेड और 70 हजार से कम अस्पताल

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 लाख के पार पहुंच गई है। 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है। पिछले कुछ दिन से रोजाना औसतन 4 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। अगर इसी रफ्तार से संख्या बढ़ती रही, तो जून के पहले हफ्ते तक मरीजों की संख्या 2 लाख से ज्यादा होने का अंदेशा है।

अगर ऐसा होता है और हालात बिगड़ते हैं तो संभालना भी मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि, सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि हमारे यहां अस्पताल में 1700 मरीजों के लिए एक बेड है।

देश में न सिर्फ अस्पतालों की बल्कि डॉक्टरों की भी कमी है। 30 सितंबर 2019 को लोकसभा में दिए जवाब में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया था कि देश में 12 लाख के आसपास एलोपैथिक डॉक्टर हैं। अगर ये मान लें कि एक समय में इनमें से 80% यानी 9.61 लाख डॉक्टर भी काम करने की स्थिति में होते हैं, तो 1404 लोगों पर एक डॉक्टर होगा।

ये आंकड़ा डब्ल्यूएचओ के मानक से भी कम है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हर 1 हजार लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए।

सेंटर फॉर डिसीज डायनामिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी यानी सीडीडीईपी की रिपोर्ट बताती है कि हमारे देश में सिर्फ 69 हजार 264 अस्पताल ही हैं। इनमें से 25 हजार 778 सरकारी और 43 हजार 486 प्राइवेट अस्पताल हैं। इन अस्पतालों में 18 लाख 99 हजार 228 बेड ही हैं।

देश में सबसे ज्यादा 17 हजार 103 अस्पताल उत्तर प्रदेश में हैं। यहां 4 हजार 635 सरकारी और 12 हजार 468 प्राइवेट अस्पताल हैं। उसके बाद कर्नाटक का नंबर आता है, जहां सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की संख्या 10 हजार 684 है।

सरकारी अस्पतालों में साढ़े 35 हजार, तो प्राइवेट में करीब 60 हजार आईसीयू बेड

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े कहते हैं कि, देश में 16 मई तक 3.1% कोरोना मरीज आईसीयू में भर्ती हैं। लेकिन, ये आंकड़ा अगर बढ़ गया तो क्या होगा? क्योंकि, सरकारी अस्पतालों में 35 हजार 699 और प्राइवेट अस्पतालों में 59 हजार 262 आईसीयू बेड हैं। यानी, सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में कुल मिलाकर 94 हजार 961 आईसीयू बेड ही हैं।

कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र हुआ है। वहां अब तक 35 हजार से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं, जबकि 1200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। लेकिन, वहां भी सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों को मिलाकर 11 हजार 587 आईसीयू बेड हैं।

देश में 47 हजार 481 वेंटिलेटर

कोरोना संक्रमितों की संख्या भले ही बढ़ रही हो, लेकिन राहत भरी खबर ये है कि हमारे यहां 16 मई तक सिर्फ 0.45% मरीज ही वेंटिलेटर के सपोर्ट पर हैं। हालांकि, चिंता वाली बात ये भी है कि देश की आबादी 130 करोड़ से भी ज्यादा है और अगर हमारे यहां भी हालात अमेरिका-यूरोप जैसे बन गए, तो वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है।

सीडीडीईपी की रिपोर्ट बताती है कि, देश में सिर्फ 47 हजार 481 वेंटिलेटर ही हैं। इनमें से 17 हजार 850 वेंटिलेटर सरकारी और 29 हजार 631 वेंटिलेटर प्राइवेट अस्पतालों में हैं।

देश में कितने कोविड-19 अस्पताल हैं?

17 मई को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया था देश में 916 डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल हैं, जिनमें 1 लाख 80 हजार 473 बेड हैं। इनमें से 1 लाख 61 हजार 169 आइसोलेशन बेड और 19 हजार 304 आईसीयू बेड हैं।

इनके अलावा कोविड-19 हेल्थ सेंटर भी बनाए गए हैं। जिनमें 1 लाख 17 हजार 775 आइसोलेशन बेड और 10 हजार 529 आईसीयू बेड हैं। इसके साथ ही 9 हजार 536 क्वारैंटाइन सेंटर और 5 लाख 64 हजार 632 बेड वाले 6 हजार 309 कोविड केयर सेंटर भी हैं।



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How will the situation deteriorate, because we have less than 50 thousand ventilators, less than 1 lakh ICU beds and less than 70 thousand hospitals


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