लाइन ऑफ कंट्रोल पर बसी कश्मीर की गुरेज घाटी का कुछ हिस्सा भारत में हैं और कुछ हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा है। भारत के हिस्से वाली गुरेज घाटी बांदीपोरा जिले में आती है। आठ हजार फुट की उंचाई पर बसी यह घाटी बर्फबारी के दिनों में चारों ओर सेबर्फ के पहाड़ों से घिर जाती है। हालात यह हो जाते हैं कि हर साल छह-छह महीने तक यह कश्मीर से पूरी तरह कटी हुई रहती है।
बांदीपोरा से गुरेज को जोड़ने वाला रोड करीब 86 किमी लम्बा है। इसी रास्ते पर राजदान पास आता है, जो समुद्र तल से 11 हजार 672 फीट की ऊंचाई पर है। यहां बर्फबारी के दिनों में 35 फीट तक बर्फ जमा हो जाती है। पिछले साल नवंबर में इस रोड को बंद किया गया था। पिछले हफ्ते ही (17 अप्रैल) इसे खोला गया है।
गुरेज घाटी की जनसंख्या करीब 40 हजार है। कश्मीर से 6 महीने तक संपर्क कट जाने के कारण यहां मार्च-अप्रैल के समय दवाईयों और खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों की किल्लत होने लगती है। दो दिन पहले ही 25 अप्रैल को यहां जरूरी सामान को पहुंचाने का सिलसिला शुरू हुआ। शनिवार को एलपीजी के 2 और डीजल के 4 ट्रक रवाना किए गए थे। रविवार को फल, सब्जी और राशन से भरे 20 ट्रक और भेजे गए।
बांदीपोरा से गुरेज जाने वाला यह रोड फिलहाल सिर्फ जरूरी सामान की आपूर्ति के लिए ही खुला हुआ है। आम लोगों का आना-जाना बंद है। कोरोनावायरस संक्रमण के फैलाव से गुरेज घाटी को बचाने के लिए ही यह फैसला किया गया है। बांदीपोरा डेप्यूटी कमिश्नर शहबाज अहमद मिर्जा बताते हैं कि जिन ट्रकों में सामान जा रहा है, उन्हें भी अच्छी तरह से सेनिटाइज किया जा रहा है। ट्रकों को चलाने के लिए उन्हीं ड्राइवरों को चुना गया है, जिन्हें चेकअप के बाद डॉक्टरों की टीम ने स्वस्थ पाया था।
मिर्जा बताते हैं, “कोशिश यही है कि कश्मीर का जो हिस्सा अब तक कोरोना संक्रमण से बचा हुआ है, उसे आगे भी महफूज रखा जाए। इसलिए पूरी सावधानी के साथ गाड़ियों को घाटी में भेजा जा रहा है।”
बांदीपोरा-गुरेज रोड खुलने से पहले ही लोग पैदल चलकर गुरेज घाटी पहुंचने लगे थे। कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुएअप्रैल के पहले हफ्ते में अहमदमिर्जा ने गुरेज में जाने वाले बाहरी लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंनेकहा था कि बाहरी लोगों का इस तरह गुरेज में पहुंचना, भौगोलिक रूप से अलग-थलग इस घाटी में कोराना की एंट्री का कारण बन सकता है। मिर्जाने तत्काल प्रभाव से गुरेज में लोगों के जाने पर बैन लगा दिया था और इसका सख्ती से पालन कराने की जिम्मेदारी त्रगबाल की बीएसएफ यूनिट को दी थी।
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