भारत ने अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी आयोग(यूएससीआईआरएफ) की रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति जताई है। इसमें भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की गई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराध श्रीवास्तव ने मंगलवार को कहा कि हम यूएससीआईआरएफ की सालाना रिपोर्ट में भारत के बारे में किए गए आकलन खारिज करते हैं। भारत के संबंध में इसकी पक्षपाती और विवादास्पद टिप्पणियां नई नहीं हैं,लेकिन इस बार गलत बयानी एक अलग स्तर पर पहुंच गई है।
उन्होंने कहा कि यह अपनी कोशिशों में अपने ही प्रतिनिधियों तक पहुंचाने में नाकाम रहा। हम इसे एक विशेष सोच के साथ काम करने वाला संगठन मानते हैं और इसके साथ ऐसा ही बर्ताव करेंगे। इसकी रिपोर्ट में कीगई बातों की हम परवाह नहीं करते।
आयोग ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय को सुझाव सौंपे
2020 की अपनी रिपोर्ट में आयोग ने भारत के बारे में अमेरिका के विदेश मंत्रालय को कई सुझाव दिए हैं। इसमें भारत को ऐसे देशों की लिस्ट में शामिल किया गया है जहां धार्मिक आजादी के उल्लंघन पर अतिरिक्त चिंता करने की जरूरत है। इसमें इन देशों में आस्था और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों के हनन के बारे में विस्तार से बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत धार्मिक आजादी के उल्लंघन में शामिल है। यहां व्यवस्थित तरीके से ऐसा होने के बाद भी इसे बर्दाश्त किया जा रहा है।
14 देश धार्मिक भेदभाव करने वालोंकी लिस्ट में
2004 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब यूएससीआईआरएफ ने भारत को धार्मिक भेदभाव के लिए चिंताजनक स्थिति वाले 14 देशों की सूची में शामिल किया है। इसमें भारत के साथ ही बर्मा, चीन,इरिट्रिया, ईरान, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब, तजाकिस्तान, तुर्केमिस्तान, नाइजेरिया, रूस, सीरिया और वियतनाम भी शामिल किए गए हैं। यूएससीआईआरएफ की यह 21 वीं सालाना रिपोर्ट मंगलवार को ही जारी की गई है। पहले भी कई मौकों पर यह आयोग भारत के बारे में गलत टिप्पणियां कर चुका है।
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