Friday, 3 April 2020

5 करोड़ आबादी वाले द. कोरिया ने 4 लाख टेस्ट कर कोरोना पर काबू पाया, लेकिन 7.5 करोड़ आबादी के राजस्थान में सिर्फ 9 हजार जांचें हुईं

(डूंगर सिंह राजपुरोहित)प्रदेश में कोरोना का कहर जारी है। मगर चिंता की बात ये है कि यहां सैंपलिंग की रफ्तार बहुत धीमी है। राजस्थान में पिछले 33 दिन से लगातार कोरोना पाॅजिटिव सामने आ रहे हैं। मगर 7.5 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में इन 33 दिन में लगभग 9 हजार सैंपल की ही टेस्टिंग हुई है। जबकि 5.1 करोड़ की आबादी वाले दक्षिणी कोरिया ने 4.31 लाख जांचें कीं। कोरोना की जांचों के मामले में दक्षिणी कोरिया बेस्ट माॅडल देश के रूप में है, जिसने शुरू से प्रति मिलियन आबादी सैंपल बढ़ाकर मात्र 68 दिन में ही कोरोना पर काबू पा लिया। राजस्थान में अब तक सिर्फ 8865 जांचें हुई हैं यानी हर रोज सिर्फ 1050 सैंपल लिए गए। चिंताजनक ये है कि यहां कोरोना के नए मरीज बढ़ने की रफ्तार दिनोंदिन तेज ही हो रही है।

तस्वीर भीलवाड़ा की है यहां शुक्रवार को 9 कोरोना पॉजिटिव ठीक हो गए हैं।

कम जांचों के दुष्परिणाम का सबसे ताजा उदाहरण है-अमेरिका। यूएस ने शुरुआत में सिर्फ 300 से 500 जांचें करके कोरोना को पैर पसारने का मौका दिया। नतीजा ये हुआ कि अब वहां संक्रमितों की संख्या चीन से भी कहीं ज्यादा हो चुकी है। जबकि डब्ल्यूएचओ भी चेतावनी दे चुका है कि सभी देश जांचों की संख्या तेजी से बढ़ाएं ताकि कोरोना पर नियंत्रण किया जा सके। आबादी के अनुसार कोविद-19 वायरस की टेस्टिंग सुविधा के लिहाज से देखें तो हम दक्षिण कोरिया, जर्मनी इटली से बहुत पीछे हैं। इस दिशा में राज्य सरकार काे जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।

राजस्थान- अब तक कुल 8865 जांचें की गईं, प्रति 10 लाख 118

शहर सैंपल प्रति 10 लाख रोगी
भीलवाड़ा 1933 690 26
जयपुर 1436 359 53
जोधपुर 445 440 10
उदयपुर 162 350 04
झुंझुनूं 1078 513 09
अलवर 251 543 02
अजमेर 255 469 05
भरतपुुर 251 984 03
राजस्थान 8865 118.5

168

दुनिया- जर्मनी ने प्रति 10 लाख सबसे ज्यादा 1,1092 टेस्ट किए

शहर सैंपल प्रति 10 लाख रोगी
अमेरिका 12 लाख 3669 2,45,442
जर्मनी 918460 11092 87,244
इटली 581232 9607 1,15,242
द. कोरिया 431743 8383 10,062
इंग्लैंड 152979 2317 38,168
भारत 47951 36.88 2514

नोट- अमेरिका में कुल सैंपल ज्यादा लेकिन शुरू में सैंपल लेने में ढिलाई से यहां कोरोना के केस बहुत तेजी से बढ़े हैं।

सबसे बड़ी लापरवाही ये है-कोरोना का 30 मिनट में ही पता लगाने वाली रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट किट तक नहीं है

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की अंतरिम एडवाइजरी में भी कहा गया है कि देश के करीब 20 हॉटस्पॉट में एक-एक व्यक्ति का रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट कराया जाना चाहिए। बता दें कि राजस्थान में जयपुर और भीलवाड़ा कोरोना के हॉटस्पॉट में शामिल हैं। इन दोनों जगह ही अब तक कुल 79 कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं। इस हिसाब से यहां की कुल 68 लाख की आबादी का रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट किया जाना चाहिए। इस टेस्ट में 30 मिनट में ही रिपोर्ट आ जाती है कि व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। चिंताजनक यह है कि पूरे प्रदेश में ऐसी एक भी किट नहीं है। मौजूदा टेस्ट में रिपोर्ट मिलने में 8 से 10 घंटे लगते हैं। राजस्थान में प्रतिदिन औसतन 550 से 1050 हजार जांचें ही हो रही हैं।

सबसे बड़ा सबक-अमेरिका और इटली ने शुरू में कम जांचें की थीं, नतीजा-कोरोना विस्फोट

  • जनवरी के आखिर में अमेरिका में 11 केस मिलने के बाद वह नहीं जागा। 16 फरवरी तक वहां सिर्फ 800 टेस्ट किए गए। 29 फरवरी तक जब केस बढ़कर 518 हो गए तब भी कुल टेस्ट 3099 ही किए गए थे।
  • आज अमेरिका में करीब ढाई लाख कोरोना पाॅजिटिव हो चुके हैं। अब अमरीका रोज एक लाख टेस्ट का लक्ष्य लेकर चलने लगा है। यहां अब तक 12 लाख जांचें हो चुकी हैं।
  • इटली में भी शुरू में 600 से एक हजार जांचें ही की गईं। दुष्परिणाम यह हुआ कि कई लोग अनजाने में संक्रमण फैलाते रहे। इटली में सर्वाधिक मौतें हो चुकी हैं।
  • इंग्लैंड 10 हजार जांचें प्रतिदिन कर रहा है। अप्रैल के अंत तक प्रतिदिन एक लाख जांचें करने का लक्ष्य हासिल करेंगे।


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तस्वीर दक्षिण कोरिया के सियोल की है। यहां एयरपोर्ट पर स्वास्थ्यकर्मी विदेश से आने वाले यात्रियों की जांच के लिए सैंपल ले रहे हैं।


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