कोरोनावायरस से अमेरिका अब दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां अब तक 2 लाख से ज्यादा कोरोना के केस आ चुके हैं और 6 हजार 95 लोगों की मौत हो चुकी है। इस सबके बीच कई ऐसी खबरे सामने आ रही है, जो हैरान कर दे रही हैं। हाउसिंग अथॉरिटी से रिटायर हुए न्यूयॉर्क के एक कर्मचारी से कोरोना से अपनेतीन पुराने दोस्त खो चुके हैं। उनकी पूर्व पत्नी और बेटी बीमार हैं। न्यूयॉर्क के हरमोहल्ले में कोई न कोई ऐसा व्यक्ति है, जिसने या तो अपने किसी करीबी को खोया है या इसके संक्रमण की चपेट में है।
अमेरिका में न्यूयॉर्क कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां लोगों में कोरोना का डर महसूस किया जा सकता है।शहर में अब तक 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। 52 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। हालांकि यह सिर्फ आधिकारिक आंकड़ा है। वास्तविकता इससे कहीं ज्यादा बुरी है। चीन में हुए एक केस स्टडी पर यकीन करें तो संक्रमितों की संख्या पॉजिटिव मिले लोगों से 10 गुनाज्यादा हो सकती है। ऐसे में यहां संक्रमितों की संख्या 5 लाख तक पहुंच सकती है।
स्टोरी-1:एक साथ परिवार के चार से ज्यादा लोगों को कोरोना
पार्कचेस्टर के ब्रोंक्स की रहने वाली क्वीना पार्सन के परिवार के तीन लोग कोरोना की चपेट मेंहैं। उन्हें सब से दूर रहना पड़ रहा है। पार्सन कहती हैं कि मेरा 28 साल का भतीजा और उसकी गर्लफ्रेंड बीमार है। मेरी भाभी को भीकोरोना हो गया है। उनका 18 साल का बेटा मारकस अपने दोस्तों के साथ साउथ कैरोलिना में है, जहां उसे बुखार और खांसी की समस्या हो गई है। मैं उसे कह रही हूं कि उसे कुछ नहीं बस एलर्जी है। इस सबके बावजूद में बहुत डरी हुई हूं।'
स्टोरी-2:जब बहन बीमार हुई तो पता चला कोरोना क्या है
ब्रोंक्स की रहने वाली कैट हार्पर (59) को कुछ दिन पहले तक कोरोना के बारे में ज्यादा पता नहीं था। पिछले दिनों उनके फैमिली चर्च के कुछ सदस्य बीमार होने लगे। इसके बाद उनकी बहन को खांसी होने लगी और यह ठीक भी नहीं हो रही थी। जांच कराने पर वह कोरोना पॉजिटिव पाई गईं। उसे कुछ दिन पहले मॉन्टफोर मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया। हार्पर ने कहा कि मैं डरने लगी कि उसे दोबारा कभी नहीं देख पाऊंगी। मैंने कई बार अपनी बहन को फोन भी किया, लेकिन उसका गला इतना खराब था कि वह मुश्किल से कुछ बोल पाती थी। वह अपने आसपास बीमार लोगों को देखती थी। उसे लगता था कि उसकी हालत भी ऐसी ही हो जाएगी। लेकिन, वह ठीक होकर लौट आई।
स्टोरी-3:यह इंग्लैंड में 14वीं शताब्दी में फैलेप्लेग की तरह है
फोर्ट ग्रीन ब्रुकलिन की रहने वाली मैक्स डेबारौस कहती हैं कि, ‘‘ यह इंग्लैंड में 14 वीं शताब्दी में फैलेप्लेग की तरह है।’’ वहीं, सन्नीसाइड क्वीन्स की ऑड्रे कार्डवेल के मुताबिक, कोरोना का खतरा न सिर्फ सड़कों पर नजर आ रह है, स्क्रीन्स ओर लोगों के फेसबुक अकाउंट, ट्वीट मेंभी दिख रहा है। पुराने दोस्त किसी न किसी व्यक्तिगत नुकसान की बात बता रहे हैं। हर जगह खतरा नजर आ रहा है। हर दिन सोशल मीडिया पर कुछ नया देखने को मिलता है। इससे होने वाली बेचैनी के लिए अब मैं मेडिटेशन का सहार लेती हूं या अपने डॉगी को टहलाने निकल जाती हूं।"
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